Upgrade Jharkhand News. यदि मुगल दरबार में मोबाइल फोन की घुसपैठ हो गई होती,सम्राट अकबर तख़्त पर हाथ में लेटेस्ट आईफोन ए आजम लिए विराजमान होते। बीरबल… वो तब सिर्फ हाजिरजवाब नवरत्नी दरबारी नहीं, बाअदब शाही इंफ्लुएंसर होते। उनके इंस्टाग्राम पर हैश टैग बीरबल ट्रेंड करता। दरबार में दरबारी खत और फरमान नहीं पढे जाते व्हाट्सएप चेक होते। यदि कोई दरबारी,दरबार में बादशाह सलामत से नजरें बचाकर कैंडी क्रश खेलता पाया जाता तो सोचिए उसे क्या सजा दी जाती ? घोड़े पर सवार दूत नदी नाले पार करके दरबार में आने की जगह जूम मीटिंग में सलाम बोलते और धोखा देकर बंदी बनाने की आधी मुश्किल यूं ही निपट जाती। मोबाइल की रिंगटोन गूंजती “मुग़ल-ए-आज़म कॉलिंग...! सम्राट अकबर दरबार में घोषणा कर सकते थे “हमने सोचा है कि अब से सभी रजवाड़ों के राजाओं के साथ एक वाट्सएप ग्रुप बना लिया जाए 'राजसी ठाठ" नाम से।”
बीरबल तुरंत बोलते, “जहाँपनाह, कृपया ग्रुप के एडमिन मत बनिएगा, वरना कोई निकल नहीं पाएगा।” अकबर हँसते हुए कहते, “बीरबल, ये मोबाईल बहुत काम की चीज़ है। पर ये बताओ, तुम दरबार देर से क्यों आ रहे हो आजकल?” बीरबल मुस्कराते हुए बोलते, “जहाँपनाह, हमने दरबार की ड्यूटी वर्क फ्रॉम होम में बदल दी है। सुबह ही तो आपको व्हाट्सएप पर मैसेज किया था ‘गुड मॉर्निंग, हुजूर , आज दक्षिण के सिपहसालारों से ऑनलाइन मीटिंग कर रहा हूं। अकबर भौंहें चढ़ाते हुए बोलते, “पर मुझे तो कोई नोटिफिकेशन नहीं आया!” तब बगल में खड़े कोतवाल अकबर के कान में फुसफुसाते, “हुज़ूर का मोबाइल अब भी डू नॉट डिस्टर्ब मोड में है।” जोधा बेगम भी इन बदलावों से खासा परेशान होती,तब वे बीरबल से एक दिन शिकायत करती , “बीरबल, बादशाह सलामत दिन भर मोबाइल में ही लगे रहते हैं। कभी फेसबुक पर शायरी पोस्ट करते हैं, कभी ट्विटर पर बयानों की तलवार चलाते हैं। जन्मदिन भी उन्हें फेसबुक रिमाइंडर से याद आता है और गिफ्ट में भेजा नजराना भी पेटीएम कर देते हैं, ये कैसा इश्क है राजरानी के लिए?”
बीरबल ठठाकर हँस पड़ते और कहते- “बेगम साहिबा, बादशाह अब डिजिटल शहंशाह हो गए हैं। मन की बात अब सीधे इंस्टाग्राम लाइव में कहते हैं।” उधर तानसेन अब रियाज़ नहीं कर रहे होते, बल्कि ‘तानसेन म्यूज़िक’ नाम से यूट्यूब चैनल चला रहे होते। हर नई रागिनी का प्रीमियर शॉर्ट्स में हो रहा होता, नीचे लिखा होता , डांट फॉरगेट टू लाइक शेयर एंड सबस्क्राइब । दरबारी एक-दूसरे की वीडियो पर कमेंट करके तारीफ़ करते ‘वाह वाह, क्या क्लासिकल कंटेंट है!’ एक मंत्री वीडियो बना रहा होता "ए क्लासिकल नाइट इन दरबार.." ऐसे में कभी अकबर भी झुंझलाकर पूछ बैठते , “ये शाही दरबार है या ब्लॉगर मीट?” तो बीरबल बोलते, “हुज़ूर, अब हुकूमत ‘रील्स’ में है, और विरोध ‘कमेंट्स’ में।” ऐसे में ही अगर कभी कोई मीम बना डालता “जब बादशाह अकबर गूगल मैप्स के भरोसे शिकार पर निकले!” मीम वायरल हो ही जाता तो अकबर ग़ुस्से में बोलते “बीरबल, यह मज़ाक है या शाही तौहीन ?”
बीरबल बोलते “जहाँपनाह, अब मीम के रूप में हमें मौका मिलता है कि हुजूर रियाया के दिमाग को पढ़ सकते हैं। ट्रोलिंग अब एक नया टूल बन गया है।” तब अकबर कहते “फिर अब हम दरबार से हटकर , बोट हाउस पर मुखातिब होगे, वहाँ कम से कम मीम्स बनाए जाने का खतरा तो नहीं होगा। चंगेज़ खान का हमला रोकने के लिए उसे गूगल पे से तोहफे ऑफर किए जाते । दुर्गा पंडित गूगल मीट पर हवन करवा देते। शहजादे सलीम टिकटाक स्टार बन जाते, और अनारकली इंस्टा पर ज़िंदा रहती,हर बार नया फ़िल्टर लगाकर। अंततः बीरबल एक दिन सबका मोबाइल जब्त करवा देते और कहते “जहाँपनाह, मोबाइल से इतिहास नहीं बनता, इतिहास अनुभव और विवेक से बनता है। मोबाइल से हम पोस्ट कर सकते हैं, पर परंपराएं नहीं रच सकते। अगर उस ज़माने में मोबाइल होता, तो शायद अबु-फज़ल ‘अकबरनामा’ न लिखते, बल्कि पॉडकास्ट बना देते ‘दिल्ली दरबार लाइव " और तब अकबर मुस्करा कर कहते “बीरबल, तुम सचमुच स्मार्ट हो... पर टेक कंपनियों से ज़्यादा महँगे पड़ रहे हो!”और बीरबल आदाब करते हुए रुखसत हो जाते। विवेक रंजन श्रीवास्तव
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