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Bhopal भक्तिन घुश्मा के नाम से जाने जाते हैं जगवंदनीय घुश्मेश्वर महादेव The world-renowned Ghushmeshwar Mahadev is known by the name of Bhaktin Ghushma

 


Upgrade Jharkhand News. देवाधिदेव महादेव की सरलता, सहजता और कृपालुता के अनंत प्रसंग वर्णित हैं। वे सहज हैं,सरल हैं, दयालु हैं,कृपालु हैं। वे इतने अहंकार रहित हैं कि कई स्थानों पर अपने भक्तों के नाम से जाने पहचाने और पूजे जाते हैं। भगवान शंकर के  द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से हर एक की अनंत महिमा और अखंड प्रतिष्ठा है। ऐसे ही जग प्रतिष्ठित  महादेव जी इस संसार में , ज्योतिर्लिंग स्वरूप में अपनी भक्त घुश्मा  के नाम से घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाने जातेहैं। जिसका वर्णन पुराणों में विस्तार से किया गया है।            पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार, घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग शिवालय नामक एक सरोवर में विराजमान हैं और उनके दर्शन मात्र से मनुष्य के समस्त पापों का नाश हो जाता है।  श्रीशिव महापुराण में घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा विस्तार से बताई गई है। इस कथा के अनुसार, दक्षिण दिशा में देवगिरी पर्वत के पास भारद्वाज कुल के एक ब्राह्मण रहते थे जिनका नाम सुधर्मा था। वह भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। उनकी पत्नी का नाम सुदेहा था। इस दम्पत्ति की कोई संतान नहीं थी, जिससे उनकी पत्नी बहुत दुखी रहती थी। तब  सुदेहा ने अपनी बहन घुश्मा का विवाह सुधर्मा से करवा दिया। घुश्मा भगवान शिव की परम भक्त थी और प्रतिदिन 100 पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करती थी। शिव की कृपा से घुश्मा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। सुदेहा को अपनी बहन से ईर्ष्या होने लगी और उसने घुश्मा के पुत्र की हत्या कर दी, लेकिन घुश्मा भगवान शिव की पूजा में लगी रही।


पार्थिव शिवलिंग की पूजा के बाद जब घुश्मा शिवलिंग का विसर्जन करने गयी तो वहां उसे उसी सरोवर के किनारे अपना पुत्र जीवित मिला। शिवजी ने घुश्मा की भक्ति से प्रसन्न होकर घुश्मा के पुत्र को पुनर्जीवित किया और स्वयं ज्योतिर्लिंग के रूप में उसी स्थान पर निवास करने का वरदान दिया, जिसे घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। 

इत्युक्त्वा च शिवस्तत्र लिंगरूपो भवदत्ता।

घुश्मेशो नाम विख्यातःसरश्चैव शिवालयम्।।

(श्रीशिवमहापुराण, कोटिरुद्रसंहिता)



पुराणों में घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व बताते हुए कहा गया है कि यह भगवान शिव के आत्म-प्रकट रूप को दर्शाता है। यहाँ भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और शांति प्राप्त होती है। जो मनुष्य यहां पूजन और दर्शन करता है उसके सुखों में सदैव वृद्धि होती है। घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के वेरुल गाँव में स्थित है।यह मंदिर औरंगाबाद शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है और एलोरा गुफाओं के पास स्थित है। इसे घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, घुश्मेश्वर मंदिर या घुश्मेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। अंजनी सक्सेना



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