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Bhopal कहानी-मैं भी story-me too

 


Upgrade Jharkhand News. लंदन की सर्द शाम कुछ अलग ही होती है।धुंए से घिरी गलियां ठंडी हवा और लोगो की भीड़ में अजीब हलचल। कमल रोज की तरह ऑफिस से निकलकर मेट्रो स्टेशन चला आया।उसके हाथ में कॉफी का कप था। कप में से हल्की हल्की भाप उठ रही थी। चलते चलते वह कॉफी की चुस्की ले रहा था। "धड़ाम"अचानक उससे आकर कोई टकराया था।उसके हाथ से कॉफी का कप छूटकर नीचे गिर गया।"ओ हो,सॉरी। ट्रेन पकड़ने के चक्कर में......।"  उसे एक मधुर, सुरीली आवाज सुनाई पड़ी। कमल ने सिर उठाकर देखा--सुनहरे बाल,काली चमकीली आंखें और हल्के गुलाबी रंग का कोट पहने वह लड़की अपराध  बोध से ग्रस्त घबराई सी वह बोली थी। वह कुछ कह पाता, उससे पहले वह भागती हुई गयी औऱ भीड़ में कहीं खो गयी।कमल हक्का बक्का सा उसे जाते हुए देखता रहा।उसने उसकी एक झलक ही देखी थी। लेकिन उसका चेहरा उसकी आँखों मे बस गया था।उस रात कमल सो नही पाया। उस लड़की क़े चेहरे की मासूमियत,, आंखों की गहराई और उसकी मधुर आवाज उसके दिलो दिमाग में छाई रही।  अगले दिन से ही हर सुबह और शाम को, कमल की नजरें उस लड़की को खोजने लगी। हर बार जब मेट्रो ट्रेन के दरवाजे खुलते, उसके मन मे उम्मीद जागती, पर जल्दी ही निराशा में बदल जाती।        रोज उसे प्लेटफॉर्म और  ट्रेन में सैकडों लड़कियां नजर आती, पर उनमें वह नहीं होती,जिसकी उसे तलाश थी।       धीरे धीरे दिन गुजरते रहे, पर वह उसे नहीं मिली।



एक दिन वह ट्रेन आने पर उसमें चढ़ा। खाली सीट ढूंढता वह आगे बढ़ा और एक सीट खाली देखकर, उस पर जा बैठा। औऱ जैसे ही उसने नजरें उठाकर देखा, उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। जिसे वह पिछले कई दिनों से तलाश रहा था,वह उसके सामने वाली सीट पर बैठी थी।उसे देखते ही कमल बोला,"तुम वही हो न,जो मुझसे टकराई थी?"  लड़की ने कमल की ओर देखा, फिर उस दिन की घटना याद आने पर मुस्कराई,"और मेरे टकराने से तुम्हारे हाथ से कॉफी का कप गिर गया था।""और तुम रुकी नही। सॉरी कहकर भाग गई थी।"कमल ने उसे याद दिलाया था।"मैं ट्रेन पकड़ने की जल्दी में थी।"सहज स्वर में वह बोली,"वरना कॉफी खरीदकर तुम्हे ऑफर जरूर करती।""उसकी कोई जरूरत नहीं थी,"वह मुस्कराकर बोला,"मैं कमल-कमल ने अपना परिचय दिया था।"मैं एलिस-उसने भी अपना परिचय दिया था।"मुझसे दोस्ती करोगी?"कमल ने मुस्कराते हुए अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाया था। एलिस ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया। उस दिन के बाद दोनों एक ही ट्रेन में मिलने लगे।उनमें बातचीत होने लगी। कमल पूरे दिन की बात उससे शेयर करता और एलिस भी हर छोटी बड़ी बात उसे बताती। दिन गुजरने के  साथ उनकी दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि बिना मिले उन्हें अपना दिन अधूरा सा लगता एलिस सुंदर होने के साथ हंसमुख स्वभाव की थी। वह किताबों की दीवानी थी। उसे किताबें पढ़ने का शौक था। हर रोज उसके हाथ में कोई किताब जरूर होती। इसके अलावा उसे आर्ट गैलरी में घूमने का भी शौक था। और वह मन में एक सपना भी पाले हुए थी, पूरी दुनिया की सैर। वह दुनिया घूमना चाहती थी।



एक दिन कमल ने उससे पूछा,"क्या तुमने कभी ऐसा महसूस किया है कि किसी अजनबी से मिली हो और वह अपना सा लगने लगे।एलिस ने कुछ पल सोचा फिर बोली,"जब मैं तुमसे टकराई, हमारी कोई बात नहीं हुई थी। लेकिन उस रात तुम्हारा चेहरा मेरी आँखों क़े सामने घूमता रहा था।"एलिस की बात सुनकर कमल की आंखों में चमक आ गयी और दिल में प्यार उमड़ आया,पर वह दिल की बात उससे कह नहीं सका। उनके मिलने का सिलसिला चलता रहा। दिन गुजरते रहे। एक दिन एलिस मिली तो और दिन जब वह मिलती तो उसका चेहरा खिला रहता था,पर आज उसका चेहरा देखकर ऐसा लग रहा था वह किसी बात को लेकर परेशान हैं। वह बोला,"क्या हुआ?""कुछ नही।"",कुछ नही तो चेहरा क्यों उतरा हुआ है,"कमल बोला,"तुम्हारा चेहरा बता रहा है कोई बात जरूर है।""मुझे बर्लिन में एक अच्छी जॉब मिल गई है। उसी को लेकर कन्फ्यूज हूँ।"एलिस की बात सुनकर उसका दिल बैठ गया। उसे लगा वह एलिस को खो देगा लेकिन दिल पर काबू पाते हुए बोला,"कन्फ्यूजन कैसा?""सोच रही हूँ जाऊं या नही?""यह तुम्हारे भविष्य का सवाल है,"कमल बोला,"इस जॉब में भविष्य में अच्छी संभावनाएं हैं। इस अवसर को मत गवाओं मत तुम्हें जाना चाहिए।"



एलिस ने उसकी आँखों मे झांकते हुए कहा,"अगर न जाऊं तो?"एलिस की बात सुनकर वह चुप रहा। उसे चुप देखकर वह मुस्कराई औऱ बोली,",यहाँ कोई है जो मुझे जाने से रोक सकता है।""तुम सही कह रही हो। मैं चाहता हूँ, तुम यहीं रहो,"कमल अपने प्यार का इजहार करते हुए बोला,"एलिस मुझे तुमसे प्यार है और तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ।"कमल की बात सुनकर एलिस की आंखों में चमक आ गयी और वह कमल का हाथ अपने हाथ में लेकर बोली।"मैं भी।" किशन लाल शर्मा



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