- राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा
Upgrade Jharkhand News. बिहार में सम्पूर्ण विपक्ष वोट चोरी के सवाल पर पूरी मजबूती से एकजुट है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा में अप्रत्याशित एवं ऐतिहासिक भीड़ उमड़ रही है। इस यात्रा को जनता का व्यापक समर्थन मिल रहा है। बिहार में वोट चोरी का मुद्दा एक बड़े जन आंदोलन का रूप ले चुका है। बिहार की सड़कों से लेकर देश की सदन तक इसकी बड़ी गूंज सुनाई पड़ी। संसद का पूरा मानसून सत्र भी वोट चोरी की भेंट चढ़ गया। इस मामले में चुनाव आयोग की जो फजीहत और बदनामी हुई है इससे चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। चुनाव आयोग ने खुद से अपने आप को कटघरे में खड़ा कर दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि चुनाव आयोग और भाजपा वोट चोरी के आरोप का ठीक से बचाव नहीं कर पा रहे हैं ,वहीं सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से यह जाहिर हो गया है कि यात्रा के संकेत शुभ हैं। कांग्रेस खेमे में इस बात को लेकर उत्साह है कि राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस, संसद में लगातार प्रदर्शन के बाद अब वोटर अधिकार यात्रा की वजह से “वोट चोरी” अभियान बिहार ही नहीं देश भर में चर्चा का विषय बन गया है।
राहुल गांधी की अगुवाई से इस यात्रा से जातीय ध्रुवीकरण की बजाय वोट चोरी का मुद्दा काफ़ी अहम हो गया है। हालांकि पार्टी में एक वर्ग का मानना है कि केवल निगेटिव प्रचार की बजाय लोगों से किए जाने वाले वादों को यात्रा में प्रमुखता से उठाना चाहिए। वैसे यात्रा की भीड़ वोट में किस हद तक तब्दील होगी, इसको लेकर अनुमान लगाना फिलहाल तो मुश्किल ही है। चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के ख़िलाफ़ निकाली जा रही इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी , तेजस्वी यादव , राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, दीपंकर भट्टाचार्य, मुकेश साहिनी खुली जीप में सवार होकर आम लोगों से मिलते-जुलते आगे बढ़ रहे हैं। सुबह और शाम के वक्त क़रीब दो-दो घंटे यात्रा आगे बढ़ती है।
सासाराम से शुरू हो कर यह यात्रा दक्षिण बिहार के औरंगाबाद, गया, नवादा होते हुए नालंदा, शेखपुरा, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर के रास्ते कटिहार, पूर्णिया,अररिया यानी सीमांचल के इलाके में पहुंच चुकी है। यात्रा सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, चंपारण, गोपालगंज, सिवान, छपरा होते हुए आरा में ख़त्म होगी। एक सितंबर को पटना के गांधी मैदान में बड़ी रैली होगी। अब तक की यात्रा के दौरान मुंगेर में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव खानकाह रहमानी के मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी से भी मिले। खानकाह का लंबा इतिहास है। यह खानकाह 1901 में मौलाना मोहम्मद अली मुंगरी ने स्थापित की थी। तब से यह केंद्र सिर्फ सामाजिक सुधार का ही केंद्र नहीं रहा बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों की मदद भी करता रहा। यहां महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, अबुल कलाम आजाद और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे नेता भी आकर रुके हैं। राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी इस खानकाह का दौरा कर चुके हैं। वहीं सीमांचल में महात्मा गांधी के पौत्र तुषार गांधी ने यात्रा का समर्थन किया। इसके अतिरिक्त तेजस्वी यादव और पूर्णिया सांसद पप्पू यादव एक मंच पर आए। संभवतः इसी कारण गठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे पर राहुल गांधी ने कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं।
सीमांचल के इलाके अररिया में राहुल गांधी ने कहा कि इस यात्रा की सफलता यह साबित करती है कि बिहार के करोड़ों लोग वोट चोरी की बात को सच मान रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि इस यात्रा में लोग खुद जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का काम सही वोटर लिस्ट देने का होता है, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में उन्होंने ऐसा नहीं किया। चुनाव आयोग का व्यवहार बिहार में भी वोट की चोरी करने का है। उन्होंने कहा कि बिहार में वे वोट चोरी नहीं होने देंगे। चुनाव आयोग खुद अपनी छवि खराब कर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कर्नाटक की एक विधानसभा में वोटर को लेकर उन्होंने डाटा रखा था, लेकिन चुनाव आयोग ने हमसे ही एफिडेविट की मांग कर दी, जबकि करीब वही बात भाजपा के अनुराग ठाकुर ने रखी, लेकिन उनसे एफिडेविट की मांग नहीं की गई। उन्होंने कहा कि मीडिया को भी मालूम है कि चुनाव आयोग किसके साथ खड़ा है। वहीं कटिहार में राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने निजीकरण और अग्निवीर योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के पास सार्वजनिक क्षेत्र और सेना में करियर के अवसर होते थे, लेकिन अब ये विकल्प खत्म हो रहे हैं। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि आज छोटे उद्यमियों के लिए कारोबार शुरू करना लगभग असंभव हो गया है, जबकि बड़े उद्योगपति बैंकों से अरबों का कर्ज लेकर माफ करा लेते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और आरएसएस पर संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार छीनने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।
वोट अधिकार यात्रा को लेकर राहुल गांधी के साथ पूर्णिया के निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि “चुनाव आयोग का दफ्तर अब भाजपा और आरएसएस के गुंडों की तरह काम कर रहा है।”भाजपा केवल विपक्षी दलों को ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सत्ता पाने के लिए हर हथकंडा अपनाती है। आज हालत यह है कि भाजपा की धूर्तता और दुष्टता से नीतीश कुमार का राजनीतिक और वैचारिक ह्रास हुआ है। उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा वोट की राजनीति के लिए नहीं है, बल्कि “जनता के सम्मान और वोट की चोरी को रोकने की लड़ाई” है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले चुनावों में महाराष्ट्र, कर्नाटक और बंगाल तक में धांधली के सवाल उठे हैं। यहां तक कि भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने भी कहा था कि उनके क्षेत्र में साढ़े तीन लाख वोटरों के नाम काट दिए गए, जिनमें उनके परिवार के लोग भी शामिल थे। पप्पू यादव ने कहा कि आस्तीन के सांप अपने ही घर में हैं और चुनाव आयोग उन्हें प्रोटेक्शन दे रहा है। पूर्व चुनाव आयुक्तों ने भी माना है कि यदि हम होते तो राहुल गांधी द्वारा उठाए मुद्दों पर तुरंत जांच होती। आज अघोषित हिटलरशाही लागू है। 65 लाख वोटर लिस्ट से गायब हो गए, लेकिन एक भी नया नाम नहीं जुड़ा। सबसे बड़ा सवाल यह है कि साढ़े पाँच बजे के बाद एक करोड़ वोट कैसे गिरे? सीसीटीवी फुटेज क्यों नहीं दिया जा रहा?
राजद नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी कह रहे हैं कि केंद्र सरकार ने एसआइआर के माध्यम से वोट चोरी का अभियान चला रखा है। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह जुमलेबाजी करते हैं। इतने दिनों से जुमला ही सुना रहे हैं। हम पर केस कराया गया। हिम्मत है तो देश के हर थाने में केस दर्ज करा दें। हम बिहारी डरते नहीं हैं। हम बिहारी चूना को खैनी में रगड़ देते हैं। उन्होंने एनडीए का मतलब नहीं देंगे अधिकार बताया।उन्होंने कहा कि बिहार और बिहारियों का अस्तित्व नहीं मिटने देंगे। रंजीत रंजन ने कहा कि वोट के अधिकार से ही लोकतंत्र मजबूत होता है, लेकिन जिस तरह वोट की चोरी कर लोकतंत्र पर हमला किया जा रहा है, उसके खिलाफ जनता को जागरूक करने के लिए यह यात्रा निकाली जा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान के हनन और लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ आंदोलन कर रही है। महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक में हुई गड़बड़ियों को भी सामने लाया गया है, लेकिन चुनाव आयोग मनमानी कर रहा है। जदयू विधायक द्वारा राहुल गांधी पर की गई टिप्पणी के जवाब में रंजीत रंजन ने कहा कि जदयू नेताओं को पहले यह तय करना चाहिए कि वे किस खेमे में हैं।
राहुल गांधी इस यात्रा में जहाँ पूर्णिया की सड़कों पर बुलेट की सवारी करते देखे गए तो आम आदमी से जुड़े होने का संदेश देने के लिए मखाना मजदूरों के बीच भट्टी के पास मखाना निकालते दिखे । जूते उतारकर पानी भरे खेतों में मखाना किसानों से मिलने पहुंचे। उन्होंने अपनी पैंट घुटनों तक मोड़ ली और किसानों के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनीं। दरभंगा और मधुबनी से आए मजदूरों और व्यापारियों से भी राहुल ने मखाना उद्योग से जुड़ी परेशानियों पर चर्चा की। राहुल गांधी की इस यात्रा में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जैसे प्रमुख नेता भी अलग-अलग चरणों में शामिल होंगे। उनकी यह यात्रा बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले विपक्षी गठबंधन की एकजुटता को प्रदर्शित करने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। अपने गठबंधन के बड़े चेहरों को आमंत्रित कर कांग्रेस एकजुटता का संदेश देने और यात्रा को लगातार सुर्खियों में बरकरार रखना चाहती है।
बिहार में राहुल गांधी के गठबंधन के सामने असली चुनौती सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन की है। अंदरखाने सभी दल अपना होमवर्क पूरा करने में जुटे हैं। वोटर अधिकार यात्रा में राहुल अगुवाई तो कर रहे हैं लेकिन क्या कांग्रेस को मन मुताबिक सीटें मिल पाएंगी ये देखने वाली बात होगी। लुभावने वादों को वोटरों तक पहुंचाने की बारी तो बाद में आएगी। राहुल-तेजस्वी की यात्रा से कांग्रेस भले ही उत्साहित हो लेकिन बीजेपी इसे घुसपैठिया बचाओ यात्रा करार दे रही है। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने कुछ ऐसे लोगों का वीडियो जारी किया जिनके वोट कथित तौर पर कट गए हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने कुछ ही समय में फैक्टचेक करते हुए साफ़ किया कि इनके से कुछ का दावा गलत है और उनके नाम मतदाता सूची में मौजूद हैं। वोटचोरी के आरोपों और सफ़ाई के बीच राहुल गांधी की दो हफ़्ते में लगभग तेरह सौ किलोमीटर की बिहार यात्रा सारे देश में चर्चा में है। वहीं भाजपा ने राहुल गांधी की इस यात्रा को राजनीतिक स्टंट करार दिया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसे 'कंस की राह' बताया। और कांग्रेस तो इसी बात से संतुष्ट है कि अरसे बाद बिहार की सियासत में उसे गंभीरता से लिया जा रहा है। कुमार कृष्णन
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