Upgrade Jharkhand News. साहित्यिक संस्था नवपल्लव की स्थापना दिवस सह दो पुस्तकों का लोकार्पण जिला सिंहभूम तुलसी भवन के चित्रकूट कक्ष में मनाया गया। मुख्य अतिथि डॉ मुदिता चंद्रा सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग ( कोल्हान) प्राचार्य अब्दुल बारी मेमोरियल काॅलेज, विशिष्ट अतिथि शकुंतला पाठक ग्रेजुएट काॅलेज, उनकी उपस्थिति से सभागार गरिमामय हो गया। अतिथियों के आगमन के साथ ही दीप प्रज्वलन और माॅं शारदा के चित्र पर पुष्प अर्पित किया गया। उसके बाद उपासना सिन्हा के द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत किया गया।
तत्पश्चात् संस्था की उपाध्यक्ष डाॅ अनीता निधि ने स्वागत भाषण दिया स्वागत भाषण के बाद अतिथियों को उत्तरीय और प्रतीक चिह्न भेंट की गई। "यादें उनकी जो गुमनामी के अंधेरे में खो गये।" आदरणीय माधुरी मिश्रा द्वारा लिखित 'शकुंतला उपन्यास का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। अतिथि 'शकुंतला पाठक ने वक्तव्य में कहा कि -"हम कहते हैं कोई आज कल कोई साहित्य नहीं पढ़ता है। अच्छा साहित्य नहीं लिखता है।तो वो कौन करेगा ?कौन लिखेगा ? साहित्यकार में समाज की दिशा दशा बदलने की वो क्षमता है। डा.मुदिता चंद्रा ने कहा - रचनाकार कोई भी हो सकता है। साहित्यकार सब कोई नहीं हो सकता। आप अपनी कहानी, कविता पत्रिकाओं में दीजिए।वो एक बार स्वीकृत नहीं होगी। फिर भेजिए,दस बार भेजिए। जब एक कहानी को दस बार लिखिएगा तब मंजकर निखर जो कहानी प्रकाशित होगी।
इस तरह आपकी रचना परिष्कृत होगी। तब देखिए कैसे लोग आपकी रचना पढ़ते हैं। संस्था की संस्थापिका माधुरी मिश्रा ने अपनी मन की बात में में कहा -"संस्था गठन करना आसान है, लेकिन संस्था को सक्रिय रखना कठिन है, लेकिन सदस्यों का समर्पण,सक्रीयता हो तो उतना कठिन भी नहीं है। स्वतंत्रता सेनानियों पर लिखा गया, आलेख संग्रह पर उन्होंने कहा कि बहुत सेनानी ऐसे थे जिन्होंने देश की आजादी के लिये गोलियां खायीं,जेल गये गये, लेकिन उनका नाम कहीं नहीं हैं ना तो उनका नाम इतिहास में कहीं दर्ज है और ना ही उन्हें कोई जानता है। ऐसे सेनानियों को खोजकर हमने लिखा। उन्हें सबके सामने हमने रखा, ताकि सभी उनके बारे में पढ़ें जाने।यह हमारा एक प्रयास है। स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति हमारा कर्तव्य है कि उनके त्याग बलिदान को सबके सामने रखें।
डा.संध्या सिन्हा ने माधुरी मिश्रा के उपन्यास शकुंतला पर सारगर्भित वक्तव्य दिया। उपन्यास पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा। शकुंतला उपन्यास आंचलिक उपन्यास है। एक लड़की की कहानी है जो अपने जीवन में हर संघर्ष से जूझती है लड़ती है, लेकिन टूटती नहीं है।यह उपन्यास पठनीय है,हरेक पढ़नी चाहिए। आपके हाथ में जब उपन्यास आयेगा तब आप एक बार में पढ़ जायेंगे, क्योंकि यह उपन्यास आपको नहीं छोड़ेगी।
दुसरे सत्र में - 'यादें उनकी जो गुमनामी के अंधेरे में खो गये ' साझा संकलन में सम्मिलित लेखिकाओं को सम्मानित किया गया। जिसमें शहर और शहर से बाहर के चौदह लेखिकाएं शामिल हैं। श्रीमती माधुरी मिश्रा, डा. कल्याणी कबीर, डा. अनीता शर्मा, डा. अनीता निधि, डा. उर्मिला सिन्हा, डा. त्रिपुरा झा,जोबा मूर्मू, मंजु कुमारी, निर्मला कर्ण, चंदा कुमारी, पद्मा प्रसाद, विजय वेदुला लक्ष्मी, और वीणा कुमारी नंदिनी सहित सभी लेखिकाओं को सम्मानित किया गया। चंदा कुमारी और ममता कर्ण दो रचनाकारों को प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया। रीना सिन्हा 'सलोनी 'और रीना गुप्ता 'श्रुति ' को संस्था के द्वारा सक्रिय सदस्य सम्मान दिया गया।
2023/24 में जिनकी एकल पुस्तक प्रकाशित हुई है उन्हें निर्मला ठाकुर सम्मान दिया गया। निर्मला ठाकुर जमशेदपुर की पहली महिला साहित्यकार हैं। वे 1960 से साहित्य सृजन कर रहीं हैं। वरिष्ठ साहित्यकार हैं। उनके नाम से रचना को निर्मला ठाकुर सम्मानित से किया गया। वीणा कुमारी नंदिनी, रीना गुप्ता, छाया प्रसाद, पद्मा प्रसाद, डॉ आरती झा,जोबा मूर्मू,नंदा पांडेय इन्हें ' निर्मला ठाकुर सम्मान से सम्मानित किया गया। शकुंतला शर्मा , सुष्मिता मिश्रा, उपासना सिन्हा,पुनम सिन्हा, बबली मीरा, पुष्पा उपाध्याय, सुदीप्ता जेठीरावत, ममता सिंह, पुष्पांजलि मिश्रा, निर्मला राव, रंभा कुमारी, आलोक मंजरी, पद्मा झा एवं शहर के विद्वत जन डा.सन्ध्या सिन्हा,डा.जूही समर्पिता , ज्योत्स्ना अस्थाना , वरिष्ठ साहित्यकार पद्मा मिश्रा,कृष्णा सिन्हा,डा.रागिनी भूषण उपस्थित थीं। मंच संचालन डॉ अनीता शर्मा एवं रीना सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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