Upgrade Jharkhand News. कुड़मी समाज द्वारा चलाए गए रेल टेका–डहर छेका आंदोलन के बाद अब मामला तूल पकड़ चुका है। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने आंदोलनकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सुईसा पोस्ट की ओर से दर्ज एफआईआर में आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव हरे लाल महतो सहित पांच नामजद और लगभग 500–600 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है।दर्ज एफआईआर में हरे लाल महतो के साथ ही झारखंड आंदोलनकारी नेता सुनील महतो, झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा तरुण महतो, आदिवासी कुड़मी समाज के नेता प्रभात महतो, बादल महतो समेत अन्य 500 शामिल है। इस कदम के बाद साफ हो गया है कि आंदोलन को लेकर रेलवे प्रशासन अब बेहद सख्त रुख अपना रहा है।
ज्ञात हो कि 20 सितंबर को अनुसूचित जनजाति का दर्जा, कुड़मालि भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने तथा सरना धर्म कोड की मांग को लेकर झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में कुड़मी समाज ने रेल टेका आंदोलन किया था। चांडिल अनुमंडल के नीमडीह थाना क्षेत्र के हेंसालौंग स्टेशन के समीप आंदोलनकारियों ने ट्रैक जाम कर दिया था, जिससे लगभग 11 घंटे तक यात्री और मालगाड़ियों का परिचालन पूरी तरह से ठप रहा। इस दौरान बड़काकाना–टाटा लोकल समेत कई ट्रेनें घंटों खड़ी रहीं। यात्री रास्ते में फंसे रहे और रेलवे को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा। रेलवे पुलिस की कार्रवाई के बाद आंदोलन से जुड़े नेताओं की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। अब यह मुद्दा केवल आंदोलन तक सीमित न रहकर सीधे राजनीति के अखाड़े में पहुंच गया है। झारखंड की सियासत में आने वाले दिनों में इसकी गूंज और तेज होने की संभावना है।
"हक अधिकार लेकर रहेंगे" – हरे लाल महतो-एफआईआर दर्ज होने पर प्रतिक्रिया देते हुए आजसू के केंद्रीय महासचिव हरे लाल महतो ने कहा, “कुड़मी समाज की मांग पूरी तरह जायज है। अपनी पहचान, अस्मिता और अस्तित्व के लिए संघर्ष करना ही होगा। किसी भी आंदोलन में कीमत चुकानी पड़ती है और कुड़मी समाज इसके लिए तैयार है। हम किसी भी कीमत पर अपना हक लेकर रहेंगे।”

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