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Jamshedpur आध्यात्मिक अनुशीलन एवं कुसंस्कारों के विरूद्ध संग्राम से ही शांति संभव है Peace is possible only through spiritual practice and struggle against bad habits.

 


Jamshedpur (Nagendra) आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की ओर से शहर में विभिन्न जगहों पर सृष्टि पर तमोगुण का प्रभाव यानी जड़ भाव को कम करने के लिए आध्यात्मिक योग साधना की बातों की चर्चा की जा रही है। सुनील आनंद  ने कहा कि आज जो कुछ भी अमानवीय कार्य सृष्टि पर हो रहा है उसका मूल कारण सृष्टि पर तमोगुण एवं रजोगुण का प्रभाव ज्यादा हो जाने के कारण हो रहा है। इस प्रभाव को कम करना बहुत जरूरी है और यह कार्य मनुष्य के द्वारा ही किया जा सकता है।  व्यक्तिगत एवं सामूहिक जीवन में शान्ति ही आदर्श मानव समाज की पहचान है। 



आध्यात्मिक अनुशीलन एवं कुसंस्कारों के विरूद्ध संग्राम से ही शान्ति संभव है। आदर्श मानव समाज की तीन विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि प्रथमतः मनुष्य की जरूरतों एवं मन की बात को समझकर, समाज के विधि- निषेधों को बनाना आवश्यक है। मनुष्य का दैहिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास हो सके उसका ध्यान रखना द्वितीय विशेषता है। सत्य को ग्रहण कर दिखावे वाले मान्यताओं, भावजड़ता ,अंधविश्वास को नहीं मानना, यह आदर्श समाज व्यवस्था की तृतीय विशेषता है। सामाजिक एकता की प्रतिष्ठा, सामाजिक सुरक्षा और शान्ति (मन की साम्यावस्था) आदर्श समाज व्यवस्था के मौलिक बिंदु हैं।



सामाजिक एकता के लिए साधारण आदर्श, जातिभेद हीन समाज, सामूहिक सामाजिक उत्सव एवं चरम दण्ड प्रथा का ना होना आवश्यक पहलू है। सुविचार(Justice) एवं श्रृंखला बोध या अनुशासन से ही सामाजिक सुरक्षा संभव है। आध्यात्मिक अनुशीलन एवं कुसंस्कारों के विरूद्ध संग्राम से ही शान्ति पाया जा सकता है। नीति ( यम - नियम) है मानव जीवन का मूल आधार, धर्मसाधना माध्यम और दिव्य जीवन लक्ष्य है। आचार्य ने कहा कि उपरोक्त सभी तत्त्व आनन्द मार्ग समाज व्यवस्था में मौजूद है।



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