Upgrade Jharkhand News. सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत नीमडीह थाना क्षेत्र के राष्ट्रीय राजमार्ग 18 (33) पर अहले सुबह दर्जनों अवैध बालू लदा हाइवा दौड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि सुवर्णरेखा नदी के ईचागढ़ थाना क्षेत्र के जे एस एम डी सी एल के स्टॉक से बालू का परिवहन सरकारी चालान द्वारा किया जा रहा है तो दिन में क्यों बालू परिवहन नहीं किया जा रहा है ? रात में या अहले सुबह ही क्यों बालू का परिवहन किया जा रहा है। जे एस एम डी सी एल के अनुसार 15 अक्टूबर से खनन कार्य शुरू होता है। लेकिन इस साल उच्च न्यायालय ने 31 अक्टूबर तक खनन एवं परिवहन पर रोक लगाया है। यंहा इससे स्पष्ट है कि बालू का परिवहन अवैध रूप से किया जा रहा है। जो उच्च स्तरीय जांच का विषय है।
यंहा सरकार का नहीं, चलता है स्थानीय प्रशासन का नियम -बालू खनन को खान और खनिज विकास और विनियमन अधिनियम 957 और इस अधिनियम की धारा 15 के तहत संबंधित राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) के प्रशासनों द्वारा तैयार किए गए खनिज रियायत नियमों के अनुसार विनियमित किया गया है। इसके अलावा, खान एवं खनिज अधिनियम की धारा 23सी, राज्य सरकार व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों को खनिजों के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण को रोकने और उससे जुड़े उद्देश्यों के लिए नियम बनाने और बालू खनन दिशा-निर्देशों से संबंधित विभिन्न प्रावधानों को लागू करने का अधिकार दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में सरकार का यह नियम लागु नहीं है, स्थानीय प्रशासन का नियम चलता है।
पर्यावरण पर पड़ रहा है विपरीत प्रभाव -पर्यावरणविदों का कहना है कि अवैध खनन से होने वाली पर्यावरणीय क्षति में नदी तल का क्षरण, जलीय आवास की क्षति, गन्दगी, जल स्तर में कमी, भूमि कटाव, बाढ़, बुनियादी ढांचे को नुकसान, उपजाऊ भूमि की हानि, स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव, जल की गुणवत्ता में कमी तथा नदी के पारिस्थितिक संतुलन पर खतरनाक प्रभाव शामिल हैं।
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