- पांच मौजा के ग्रामीणों ने उठाई आवाज, कहा 'पर्यावरण बचाओ, जमीन बचाओ'
Upgrade Jharkhand News. सरायकेला खरसावां जिला के नीमडीह प्रखंड अंतर्गत आदरडीह में प्रस्तावित एसएम स्टील कंपनी की स्थापना के खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों का विरोध अब तेज हो गया है। बुधवार को आदरडीह दुर्गा मंदिर परिसर में पांच मौजा — आदरडीह, गौरीडीह, बनडीह, गौरडीह व लोवाबेड़ा के ग्रामीणों ने एक आमसभा आयोजित कर कंपनी के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। सभा में ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि कंपनी द्वारा स्थानीय लोगों के साथ अनुबंध के विपरीत कार्य किया जा रहा है। उनका आरोप है कि यह कंपनी प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री स्थापित करने की योजना बना रही है, जिससे गांव के पर्यावरण, खेती और जनजीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। ग्रामीणों ने साफ कहा कि —
'किसी भी कीमत पर गांव की हरियाली और पर्यावरण को नष्ट नहीं होने दिया जाएगा। जरूरत पड़ी तो जमीन अधिग्रहण स्थल से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक आंदोलन किया जाएगा।'जमीन दाताओं ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वे अपनी जमीन बेचना नहीं चाहते थे, लेकिन कुछ बिचौलियों के दबाव और धोखाधड़ी से जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। उनका कहना है कि जमीन को 'बंजर' बताकर एस एम स्टील एंड पावर लि. के प्रबंधक राजीव कुमार मुखर्जी के साथ मिलीभगत से सुखराम हेंब्रम, भक्त रंजन मंडल, निखिल महतो, मधु कुमार व बबलू कुमार जैसे लोगों ने दलाली कर सौदा पक्का किया और रैयतदारों को उचित मुआवजा नहीं देकर वे लोग करोड़पति बना।
जमीन मालिकों ने बताया कि कागजात में फर्स्ट पार्टी का नाम तो है, लेकिन सेकंड पार्टी का नाम गायब है। 44 हजार रुपये प्रति डिसमिल के हिसाब से जमीन लिखी गई, लेकिन हमें सिर्फ 11 हजार रुपये प्रति डिसमिल दिया गया। यहां तक कि रक़म के स्थान पर खाली जगह छोड़ दी गई ताकि मनमर्जी रकम भरी जा सके। आमसभा में आंदोलन को समर्थन देने पहुंचे झारखंड नव निर्माण क्रांतिकारी मोर्चा के मुख्य संरक्षक एवं कालिंदी समाज के अध्यक्ष कृष्णा कालिंदी ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा मैं खुद एक विस्थापित बेटा हूं। चांडिल डैम का दर्द 43 वर्षों से झेल रहे हैं, लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला। आप सभी से निवेदन है कि वही गलती दोहराएं नहीं। जमीन और पर्यावरण की रक्षा के लिए एकजुट रहें।
सभा में काफी संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति रही। लोगों ने नारे लगाकर कंपनी का विरोध जताया और स्पष्ट किया कि जब तक उनकी जमीन और पर्यावरण की सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती वे आंदोलन जारी रखेंगे।




























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