Upgrade Jharkhand News. आदित्यपुर के शांतिनगर, जुलूमटॉड और आसपास के इलाकों में वन भूमि पर खड़ी अवैध बस्तियों पर अब प्रशासन की सीधी नजर टिक चुकी है। वर्षों से जंगल की जमीन पर धीरे-धीरे खड़े किए गए घर, झोपड़ियाँ और पक्के निर्माण अब प्रशासन के लिए सिरदर्द बन चुके हैं, और संकेत साफ हैं—आज नहीं तो कल कार्रवाई तय है।
मंगलवार को शांतिनगर में वन विभाग और प्रशासन की संयुक्त टीम ने मौके पर पहुंचकर अवैध निर्माण को ध्वस्त कर यह जता दिया कि चेतावनियाँ अब सिर्फ कागज़ों तक सीमित नहीं हैं। कार्रवाई के दौरान क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल रहा, वहीं कई निर्माणों को जमीन से समतल कर दिया गया। अधिकारियों का कहना है कि बार-बार समझाने और नोटिस देने के बावजूद लोगों ने निर्माण कार्य जारी रखा। बिना किसी वैध दस्तावेज़ के वन भूमि पर कब्जा करना सीधा कानून का उल्लंघन है, जिसे किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक, सस्ती जमीन के भ्रम में आकर कई लोगों ने यह सोच लिया कि समय बीतने के साथ बस्ती को वैध करा लिया जाएगा, लेकिन कानून ऐसी किसी उम्मीद की इजाजत नहीं देता। वन भूमि पर कब्जा न पहले वैध था और न ही कभी होगा।वन विभाग ने दो टूक कहा है कि जंगल क्षेत्र को हुए नुकसान की भरपाई अब सख्ती से की जाएगी। अवैध बसावट हटाना मजबूरी बन चुका है और आने वाले दिनों में अन्य इलाकों में भी इसी तरह की कार्रवाई तेज की जा सकती है।स्पष्ट है कि प्रशासन अब किसी दबाव या भावनात्मक अपील के मूड में नहीं है। वन भूमि पर बने अवैध घरों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है—कार्रवाई कभी भी, कहीं भी हो सकती है।
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