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Chaibasa गुवा गोली कांड के आंदोलनकारी दरगड़ाय सिरका का निधन, गांव में पसरा मातम Guwa firing incident protester Dargaday Sirka passes away, village mourns

 


Guwa (Sandeep Gupta) ऐतिहासिक 1980 गुवा गोलीकांड के आंदोलनकारी और बड़ा राईका गांव के निवासी दरगड़ाय सिरका के निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी मृत्यु ने न केवल गांव को बल्कि उन सभी लोगों को भी गहरे दुख में डाल दिया है, जो गुवा गोलीकांड की पीड़ा और संघर्ष को करीब से जानते हैं।दरगड़ाय सिरका उन गिने–चुने साहसी आंदोलनकारियों में शामिल थे, जिन्होंने गुवा में आदिवासियों के अधिकारों और न्याय की मांग को लेकर आयोजित आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। इसी दौरान पुलिस की गोली उनके गाल को चीरते हुए आर-पार निकल गई थी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस दर्दनाक घटना ने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया। 


चोट की गहराई और लंबे उपचार के कारण वे अक्सर अस्वस्थ रहते थे और पिछले दिनों उनका पैर भी टूट गया था, जिसके बाद उनकी स्थिति और नाजुक हो गई थी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मानवता और संवेदनशीलता दिखाते हुए उनके इलाज की जिम्मेदारी उठाई थी और उन्हें रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद वे घर लौट तो आए, लेकिन उनकी सेहत लगातार गिरती रही। आज सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली, जिससे गांव में गहरा सन्नाटा और मातम छा गया। गुवा गोलीकांड की स्मृति में हर वर्ष 8 सितंबर को कार्यक्रम आयोजित होता है, जिसमें शहीदों को सम्मान दिया जाता है। 



दरगड़ाय सिरका भी हर साल गुवा जाने की इच्छा रखते थे, ताकि उन्हें भी आंदोलनकारी के रूप में सम्मान मिल सके। लेकिन विडंबना यह रही कि आज तक उन्हें वह सम्मान नहीं मिल पाया, जिसके वे पात्र थे। उनके निधन से गांववासियों तथा आंदोलन से जुड़े लोगों में शोक और आक्रोश दोनों है। लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि जिस व्यक्ति ने आंदोलन में अपनी जान दांव पर लगा दी, उसे जीवनभर उचित सम्मान क्यों नहीं मिला? दरगड़ाय सिरका के जाने से गुवा गोलीकांड से जुड़ी संघर्षगाथा का एक और अध्याय समाप्त हो गया, लेकिन उनकी यादें और संघर्ष हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे।



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