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Jamshedpur श्री साहित्य कुंज ( जमशेदपुर ) की वर्ष 2025 काव्य गोष्ठी हरे भरे वातावरण में 'रीना सिन्हा सलोनी' जी के आवास पर संपन्न हुई The year 2025 poetry symposium of Shri Sahitya Kunj (Jamshedpur) was concluded in the lush green environment at the residence of 'Reena Sinha Saloni' ji.

 


Upgrade Jharkhand News. इस गोष्ठी का संयोजन कुंज की संरक्षक  प्रतिभा प्रसाद कुमकुम नें किया, स्वागत उदबोद्धन ,मनीषा सहाय सुमन, संचालन रीना सिन्हा ,सरस्वती वंदना रजनी रंजन जीव धन्यवाद ज्ञापन आरती श्रीवास्तव द्वारा किया गया। आद. हरि किशन चावला की अध्यक्षता, आद.श्यामल सुमन मुख्य अतिथि ,आद. प्रतिभा प्रसाद कुमकुम वह वीणा नंदिनी विशिष्ट अतिथि तथा डॉक्टर आशा गुप्ता अति विशिष्ट अतिथि के रूप में पधार कर गोष्ठी की शोभा बढ़ाई। इस काव्य गोष्ठी में शहर के जाने माने कवि कवयित्रियों नें शिरकत नें समाँ बाँध दिया … गुज़रते वर्ष के समापन और आने वाले वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित इस काव्य गोष्ठी में विभिन्न विषयों पर कविताएँ, गीत और ग़ज़ल सुने और सुनाए गए।


प्रियसखी आदरणीय रीना सिंह जी के आवास पर उनके आतिथ्य में  उनके बगीचे की गुनगुनी धूप में काव्य पाठ का आनंद निराला ने  समा बांध दिया। सभी ने धैर्य से एक दूसरे की कविताएं सुनी सराही और वाह-वाह द्वारा  लेखनी को बल प्रदान किया। शहर के जाने-माने कवि कवित्रियों ने शिरकत की। उनकी उपस्थिती कविता की पंक्तियों के साथ ----रीना सिन्हा सलोनी---ज़िंदगी बस बिता न दी जाए ,मुश्किलों से मिली है, जी जाए.हरिकिशन चावला जी----दादी हो, माँ हो, बहन हो बहु हो ,औरत के हर रूप में ,दिखती हैं बेटियां.पूनम शर्मा स्नेहिल--नाम लिख कर फिर उसने यूंँ मिटाया होगा।हाल दिल का भी जमाने से छुपाया होगा।



प्रतिभा प्रसाद 'कुमकुम'--जिस धरती पर रहते आएं, ऋषि मुनिवर अरु संन्यासी।वंदे मातरम मंत्र हमारा, हम हैं भारत के वासी। डा. रजनी रंजन--माँ के चरणों की सेवा करुँगी, कर्णपथ माँ ने जग को दिखाया। ममता कर्ण जी--एक बड़े शहर में वरिष्ठ कवियों के संग कवि सम्मेलन कराई गई, सौभाग्य से वहां मैं भी सम्मानित बुलाई गई।शिप्रा सैनी मौर्या---अरे यह बात भी है क्या, कि ऐसे ही फ़ना पाओ।नहीं कुछ बन सके तो क्या, किसी को तो बना पाओ। आरती श्रीवास्तव जी-कलेंडर सटा दीवार पर,पूछे मुझसे  बात,मैं तो बदल जाऊंगा कल, कब बदलो गे आप?मनीषा सहाय-- गुड़िया खिलने रूसा रूसी वही कहानी  रहने दो,इन आंखो में बचपन की कुछ याद पुरानी रहने दो!डॉ आशा गुप्ता--चेतना की सीपी में ,शुभ्रा मोती की तरह ,बोलो तुम कौन हो,हृदय के इस मौन में।



अनिता निधि--रिश्तो की डोर से बंधे सब अपने लगे हैं , पर आजकल हर रिश्ते बदलने लगे हैं।  उपासना सिन्हा--- स्वयं को कर दिया अर्पण ,मगर कहते कि तू क्या है। श्यामल सुमन--वक्त से टकरा सके तो, जिंदगी श्रृंगार है। वक्त खुशियाँ वक्त पर दे, वक्त ही दीवार है।वीणा नंदनी ---मेघ सरिता का संबंध ,मेघ देख मुस्काती नदियों लहरों ने फिर गान किया -मोरों ने देखा बुंदों को,तभी तरस वह पान किया.



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