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Mumbai 23 साल बाद भी क्यों उतनी ही खास है राजकुमार हिरानी की मुन्ना भाई MBBS? आज भी दिल जीत लेते हैं यह 6 यादगार डायलॉग्स Why is Rajkumar Hirani's Munna Bhai MBBS still as special 23 years later? These 6 memorable dialogues still win hearts.

 


  • 23 साल बाद भी ज़िंदा है मुन्ना भाई MBBS का जादू: 6 डायलॉग्स जो आज भी हैं उतने ही खास

Mumbai (Chirag) राजकुमार हिरानी की मुन्ना भाई एमबीबीएस, जिसमें संजय दत्त और अरशद वारसी नजर आए थे, आज भी सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली फिल्मों में गिनी जाती है। जैसे ही यह कल्ट क्लासिक फिल्म अपने 23 साल पूरे कर रही है, हम आपको याद दिला रहे हैं इसके कुछ ऐसे शानदार डायलॉग्स, जो आज भी लोगों की जुबान पर हैं और पॉप कल्चर का हिस्सा बने हुए हैं। राजकुमार हिरानी हिंदी सिनेमा के उन चुनिंदा निर्देशकों में हैं जो हंसी के साथ दिल की बात कह जाते हैं। उनकी फिल्मों में मज़ाक, भावनाएं और समाज से जुड़ी सच्चाइयां बहुत सहज तरीके से सामने आती हैं। वह कहानियां इस तरह सुनाते हैं कि दर्शक सिर्फ देखता नहीं, बल्कि खुद को उनसे जुड़ा हुआ महसूस करता है।मुन्ना भाई एमबीबीएस से उन्होंने निर्देशन में कदम रखा और पहली ही फिल्म से बता दिया कि सिनेमा इंसानियत और संवेदनशीलता का भी ज़रिया हो सकता है। 23 साल बाद भी यह फिल्म उतनी ही असरदार लगती है, क्योंकि इसकी सोच सादी है, दिल से निकली है और सीधे दिल तक पहुंचती है।



“भाई ने बोला करने का मतलब करने का” से लेकर दिल छू लेने वाली “जादू की झप्पी” तक, मुन्ना भाई एमबीबीएस के डायलॉग आज भी लोगों की ज़ुबान पर हैं और सोशल मीडिया व मीम्स की दुनिया में खूब चलते हैं। राजकुमार हिरानी के निर्देशन में बनी यह पहली फिल्म दोस्ती, ड्रामा और हंसी को बहुत हल्के और प्यारे अंदाज़ में जोड़ती है। यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं करती, बल्कि प्यार, इंसानियत और सही सोच का छोटा-सा संदेश भी देती है। शायद यही वजह है कि इतने साल बाद भी मुन्ना भाई एमबीबीएस लोगों के दिलों में उतनी ही ताज़ा और खास बनी हुई है। अरशद वारसी का सर्किट वाला किरदार उन्हें रातों-रात दर्शकों का चहेता बना गया, वहीं मुन्ना भाई एमबीबीएस को संजय दत्त की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक माना जाता है। मुन्ना और सर्किट की दोस्ती आज भी बॉलीवुड की सबसे यादगार जोड़ियों में गिनी जाती है। यह फिल्म सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट नहीं रही, बल्कि आलोचकों से भी खूब तारीफ बटोरी। साफ-सुथरा मनोरंजन, दिल से जुड़ी कहानी और सच्चा संदेश—इन सबने मिलकर मुन्ना भाई एमबीबीएस को एक यादगार क्लासिक बना दिया। 23 साल बाद भी मुन्ना भाई एमबीबीएस के डायलॉग्स लोगों की ज़ुबान पर हैं। ये डायलॉग्स आज भी दिलों को छू जाते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि हँसी और दोस्ती में कितनी बड़ी ताक़त होती है।


6 बेहतरीन और यादगार डायलॉग्स

1) “ऐ मामू… जादू की झप्पी दे डाल और बात ख़त्म”-मुन्ना भाई एमबीबीएस में मशहूर डायलॉग “ऐ मामू… जादू की झप्पी दे डाल और बात ख़त्म” मुन्ना ने कहा था, जिसे संजय दत्त ने निभाया था। यह लाइन देखते ही देखते लोगों की ज़ुबान पर चढ़ गई। इस डायलॉग में मुन्ना का यही मानना दिखता है कि झगड़े और मुश्किलें गुस्से से नहीं, बल्कि प्यार और अपनापन दिखाकर सुलझाई जा सकती हैं। “जादू की झप्पी” सिर्फ एक डायलॉग नहीं रही, बल्कि एक सोच बन गई, जो फिल्म के गांधीगिरी और अहिंसा वाले संदेश को बहुत सादगी और दिल से सामने रखती है।


2) “206 टाइप का सिर्फ हड्डी है… तोड़ने के टाइम अपन लोग सोचते थे क्या?”-डायलॉग “206 टाइप का सिर्फ हड्डी है… तोड़ने के टाइम अपन लोग सोचते थे क्या?” सर्किट ने बोला था, जिसे अरशद वारसी ने निभाया है। यह लाइन फिल्म में ज़बरदस्त हंसी पैदा करती है और सर्किट के देसी, चालाक और बेफिक्र अंदाज़ को साफ दिखाती है। उसकी आम बोलचाल वाली भाषा और सड़कछाप समझ इस डायलॉग को और मज़ेदार बना देती है।


3) “वो बाहर कैजुअल्टी में कोई मरने की हालत में रहा… तो उसको फॉर्म भरना जरूरी है क्या?”-संजय दत्त द्वारा निभाए गए मुन्ना ने यह डायलॉग अस्पताल की सख़्त और बेरहम व्यवस्था पर सवाल उठाने के लिए बोला था। यह लाइन मज़ाक के अंदाज़ में, लेकिन बड़ी साफ़ी से दिखाती है कि कैसे काग़ज़ी काम और नियम इंसानियत से ज़्यादा अहम हो जाते हैं। यही बात फिल्म का एक बहुत मजबूत और असरदार संदेश भी बनती है।


4 “लाइफ में जब टाइम कम रहता है न… डबल जीने का, डबल”-यह डायलॉग मुन्ना की ज़िंदगी को देखने की सोच को दिखाता है। जब वक्त कम हो, तो ज़िंदगी को खुलकर और दिल से जीना चाहिए। यह लाइन बहुत आसान शब्दों में एक गहरी बात कहती है, इसलिए सालों बाद भी लोगों के दिल को छू जाती है।


5) “ए चिल्ली चिकन तेरा हाइट क्या है रे, हाउ लोंग हाउ लोंग?”-यह डायलॉग सर्किट के मज़ेदार अंदाज़ और उसकी शानदार कॉमिक टाइमिंग को साफ दिखाता है। उसकी बोलने की अनोखी शैली इस लाइन को और भी यादगार बना देती है। यही वजह है कि यह डायलॉग आज भी सबसे ज़्यादा दोहराए जाने वाले मज़ाकिया डायलॉग्स में गिना जाता है।


6) “फुल कॉन्फिडेंस में जाने का और एकदम विनम्रता के साथ बात करने का”-सर्किट का यह एक और यादगार डायलॉग उसके अलग अंदाज़ वाले जीवन मंत्र को दिखाता है। वह आत्मविश्वास के साथ हालात का सामना करने की बात करता है, लेकिन साथ ही ज़मीन से जुड़ा रहना भी सिखाता है। यह डायलॉग मज़ाक के साथ एक छोटी-सी समझ भी देता है, ठीक वैसे ही जैसे पूरी फिल्म देती है।



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