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पुलिस हिरासत में मौत पर मुआवजे का मरहम, हाईकोर्ट ने दिए पांच लाख देने का निर्देश, Ointment of compensation on death in police custody, High Court directed to give five lakh


रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत में धनबाद जिले में पुलिस हिरासत में उमेश सिंह की मौत की सीबीआइ जांच और मुआवजा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि उमेश सिंह की पत्नी बबीता देवी को पांच लाख रुपये मुआवजा प्रदान किया जाए। अदालत ने छह सप्ताह में मुआवजा भुगतान करने का आदेश दिया है।

साथ ही डीजीपी को उन दो पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है, जिनके कारण उमेश सिंह की जान चली गई। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार मानवाधिकारों के उल्लंघन पर मुआवजा देने के लिए बाध्य है, क्योंकि पुलिस की यातना से ही उमेश सिंह की मौत हुई थी। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में जो पुलिसकर्मी दोषी पाए जाते हैं, मुआवजे की राशि उनसे ही वसूली जाए।

अदालत ने इसके लिए धनबाद की निचली अदालत के आदेश को आधार बनाया है। बताते चलें कि धनबाद सीजेएम ने अपने आदेश में कहा है कि प्रथम दृष्ट्या इस मामले में दो पुलिस वाले स्पष्ट रूप से शामिल प्रतीत होते हैं। इस संबंध में उमेश सिंह की पत्नी बबीता देवी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि धनुडीह ओपी प्रभारी हरिनारायण राम के निर्देश पर धनुडीह चौकी के मुंशी पवन सिंह ने जून 2015 में उमेश सिंह को घर से हिरासत लिया था।

जब उमेश सिंह अगली सुबह घर नहीं लौटा तो उसके स्वजन ने उसकी तलाश शुरू की तो इस क्रम में धनुडीह जोरिया के पास उमेश सिंह का शव मिला. तब शरीर पर चोट के कई निशान पाए गए थे। साथ ही मृतक की कमीज पुलिस स्टेशन के लाकअप में मिलने की बात सामने आई थी। अदालत को बताया गया कि बबीता देवी ने झरिया थाना में हरिनारायण राम, पवन सिंह, सतेंद्र कुमार और अज्ञात पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी की।

लेकिन जांच में कोई प्रगति नहीं है. प्रार्थी ने मामले की जांच सीबीआइ से कराने और दस लाख रुपये मुआवजा देने का आग्रह किया गया था। झारखंड हाई कोर्ट में राज्य में पुलिस हिरासत और जेल में मौत मामले की न्यायिक जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य के सभी जिला जजों से रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने पूछा है कि उनके पास हिरासत में मौत मामले की न्यायिक जांच के लिए कितने आवेदन प्राप्त हुए हैं और उनकी वर्तमान स्थिति क्या है। मामले में अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 26 जुलाई की तिथि निर्धारित की है।

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