चक्रधरपुर। रेल नगरी चक्रधरपुर में रेलवे की जमीन की खरीद बिक्री का एक मामला सामने आया है। ताजा मामला चक्रधरपुर के इतवारी बाज़ार का हैं। जहां रेलवे की जमीन को अतिक्रमित कर पक्के दुकान बनाने के के बाद अब दुकान को लाखों में कीमत पर बेचने का भी मामला सामने आया है। चक्रधरपुर रेल मंडल के सूत्रों के अनुसार रेलवे के इतवारी बाज़ार रेल क्षेत्र एनएच 75 सड़क मार्ग के किनारे मरम्मत के नाम पर अवैध तरीके से रेलवे को गुमराह कर दुकानों के निर्माण का कराया गया।
जिसको लेकर स्थानीय लोगों ने रेलवे के सम्बंधित क्षेत्र के इंजीनियरिंग विभाग को सूचित भी किया था। जिस पर अधिकारीयों ने जांच की बात कही थी, लेकिन जांच में क्या निकला यह अब तक विभाग के द्वारा बताया नहीं गया है, लेकिन इस बीच अब जानकारी मिल रही है की रेलवे की जमीन पर अवैध तरीके से रेलवे को गुमराह कर बनाए गए पक्के दुकानों को बेचने की तैयारी चल रही है। इस मामले पर जब चक्रधरपुर रेल मंडल के सीनियर डीईईएन कोर्डिनेशन आरपी मीणा से फोन पर जानकारी ली गयी तो उन्होंने इस तरह के किसी भी जानकारी से अनभिज्ञता जताई हालांकि उन्होंने कहा की संबंधित क्षेत्र के विभाग के अधिकारी से जानकारी ले।
हालांकि इस संबंध में आरपीएफ ने इस सूचना पर ख़ुफ़िया तरीके से जांच शुरू कर दी है चक्रधरपुर रेलवे में कहाँ कहाँ हाल के दिनों में रेल क्षेत्र में नए दूकान बने हैं और किसके आदेश पर यह दुकान बने हैं। बता दें कि इंजीनियरिंग विभाग के निचले स्तर के अधिकारीयों की मिलीभगत से रेलवे की जमीन में अतिक्रमण होता है। धीरे धीरे हौसला इतना बुलंद होता चला जाता है रेलवे की पूरी जमीन अतिक्रमण कर कब्ज़ा कर लिया जाता है। जिसके बाद रेलवे को उसी जमीन को खाली करवाने में पसीने छूट जाते हैं। अधिकारी तीन से चार साल के लिए आते हैं लेकिन उनकी अनदेखी व मिलीभगत से ऐसे कार्य होते हैं जिसका खामियाजा रेलवे को सालों साल भुगतना पड़ता है और नुकसान झेलना पड़ता है।
चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन के समीप भी बना है अतिक्रमण कर मंदिर से सटाकर अवैध दुकान : चक्रधरपुर रेलवे स्टेशन के समीप भी विभागीय मिली भगत से मंदिर में सटकर अतिक्रमण कर दुकान बनाए गए हैं, लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं हो रहा है। बताया जाता है कि कुछ महीना पहले चक्रधरपुर स्टेशन के समीप एक मंदिर है। जहां विभागीय मिली भगत से रातों-रात मंदिर से सटकर एक अवैध दुकान बना लिया गया है। जहां इन दिनों अवैध रूप से ठेला लगाया जाता है और उसे दुकान में सामान रखा जाता है। इस बात की जानकारी रेल अधिकारी को होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होना कई प्रकार का सवाल उठ रहा है?
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