गुवा। झारखंड स्वास्थ्य विभाग एवं सेल की किरीबुरू-मेघाहातुबुरु जनरल अस्पताल प्रबंधन की ओर से सामुदायिक भवन किरीबुरू में बुधवार को राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में डब्ल्यूएचओ, एनटीइपी,झारखण्ड के कन्सल्टेंट डाक्टर प्रीतम घोष, सहयोगी की भूमिका में सेल किरीबुरू अस्पताल के डाक्टर मनोज कुमार, एनटीइपी, झारखण्ड के तकनीकी सलाहकार अभिषेक प्रसाद, एनटीइपी झारखंड के आइईसी अधिकारी प्राण रंजन मिश्रा, एनटीइपी झारखंड के पीपीएम कोर्डिनेटर दामोदर कुमार एवं चाईबासा के डीपीसी सुनील गागराई शामिल थे।
डॉ प्रीतम घोष ने कहा कि टीबी हारेगा, तभी देश जीतेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2030 तक पूरे विश्व से और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2025 तक पूरे भारत से टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया हैं। यह लक्ष्य आपके सहयोग के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने टीबी के लक्षण, फैलने के कारण और रोकथाम के बारे में जानकारी दी। कहा कि टीबी से ग्रसित मरीजों को सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा दी जाती है। इसे नियमित छः माह तक खाना है।
नियमित दवा का सेवन नहीं करने वाले मरीजों के लिए स्थिति गंभीर हो सकती है तथा इसे ठीक होने में अधिक समय लग सकता है। टीबी सिर्फ गरीबों की ही नहीं बल्कि सम्पन्न लोगों व बच्चों को भी हो सकता है। बाल व नाखून को छोड़ शरीर के किसी भी अंग में टीबी हो सकती है। टीबी मरीजों से लोग घृणा नहीं करें, बल्कि उनका पूरा सहयोग करें। संपन्न व सक्षम लोग ऐसे मरीजों को गोद लेकर मदद कर सकते है। सरकार भी मरीजों को प्रत्येक माह 500 रुपये पौष्टिक आहार लेने हेतु देती है।
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