चक्रधरपुर। रेल नगरी चक्रधरपुर में गुरुवार को तुलसी विवाह कार्यक्रम घर-घर आयोजन किया गया। पूजा से पूर्व गणेश स्थापना, नवग्रह शांति और भगवान शालिग्राम की स्थापना की गई। मौके पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शालिग्राम भगवान को पाट पर विराजमान किया गया। इस दौरान महिलाओं ने मंगल गीत गाए। तुलसी विवाह के अवसर पर तुलसी के पौधों को आकर्षक ढंग से सजाया गया। महिलाओं ने सिंगार का सामान एवं वस्त्र अर्पण कर पूजा में भाग लिया।
तुलसी के पौधे के निकट श्रद्धालुओं ने प्रसाद चढ़ाया और घर में सुख शांति समृद्धि की कामना की। श्रद्धालुओं ने बताया कि प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देव प्रबोधनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ कराया जाता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने वृंदा से कहा कि तुम अगले जन्म में तुलसी के रुप में प्रकट होगी और लक्ष्मी से भी अधिक मेरी प्रिय रहोगी। तुम्हारा स्थान मेरे शीश पर होगा।
मैं तुम्हारे बिना भोजन ग्रहण नहीं करुंगा। यही कारण है कि भगवान विष्णु के प्रसाद में तुलसी अवश्य रखा जाता है। बिना तुलसी के अर्पित किया गया प्रसाद भगवान विष्णु स्वीकार नहीं करते हैं। इस लिए महिलाओं ने व्रत रख कर विशेष पूूजा-अर्चना की और परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। लोगों ने अपने घरों मेें तुलसी को दुल्हन की तरह सजाया था। रात के समय अंत में तुलसी आरती व पूजन किया गया।
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