छाया प्रसाद की पुस्तक मन दर्पण की कहानी इसी बदलते समाज की तस्वीर है
जमशेदपुर। जमशेदपुर में आयोजित पुस्तक मेले में बहुभाषीय साहित्यिक साहित्यिक संस्था सहयोग के मंच पर श्रीमती छाया प्रसाद का कथा संग्रह 'मन दर्पण" का लोकार्पण किया गया। मुख्य अतिथि गोविंद माधव शरण ने पुस्तक का लोकार्पण किया और कहा कि छाया प्रसाद की कहानियों में समाज का सच है आज जमशेदपुर में संयुक्त परिवार लगभग लुप्त हो चुका है। हमारा शहर एक ओल्ड एज होम की तरह हो गया है। जहां केवल बुजुर्ग माता-पिता रहते हैं और सारे बच्चे बाहर निकल गए। भारतीय समाज विघटित होता जा रहा है।
मुख्य वक्ता श्रीमती पद्मा मिश्रा ने चुनिंदा कहानियों पर अपने विचार रखें उन्होंने कहा कि छाया प्रसाद की भाषा शिवानी की तरह सरल सहज भाषा है। इसलिए पाठकों के दिल तक उतर जाती है। उन्होंने अपने शहर की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि छाया प्रसाद के पात्र जीवनिया है। हमारे समाज में यह पात्र पाए जाते हैं।
कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत करते हुए डॉक्टर जूही समर्पित ने कहा कि नारी लेखन कई संघर्षों से गुजरा है...दोहरे दायित्व निभाते हुए निरंतर चल रहा है यह बहुत बड़ी बात है। पिछले 20-25 वर्षों में अनेक महिला रचनाकारों की पुस्तक प्रकाशित हुई।
कार्यक्रम का सफल संचालक श्रीमती माधुरी मिश्रा सहयोग की कोषाध्यक्ष ने किया। इस कार्यक्रम में प्रबुद्ध पाठक और पुस्तक प्रेमी साहित्यकार उपस्थित थे। जिसमें श्रीमती प्रतिभा प्रसाद, मामचंद अग्रवाल, अरुण झा, रीना सिन्हा, रेनू बाला मिश्रा, आनंद बाला शर्मा, अंशुमान प्रसाद, सुजय कुमार, शुभा प्रियदर्शी, मंजू शर्मा, नेहा मिश्रा, वीणा नंदिनी, डॉ संजय भैया, बृजेंद्र मिश्रा आदि। वीणा पांडे ने कार्यक्रम के आरंभ में सरस्वती वंदना प्रस्तुत की और धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती रेणु बाला मिश्रा ने किया।
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