जमशेदपुर। अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के स्वर्ण जयंती वर्ष आयोजन समिति के बैनर तले आज " हरित घर और पंचमहाभूत महाप्राण" विषय पर भुईंयाडीह में लेखिका आरती श्रीवास्तव विपुला जी के आवास पर एक बैठक आयोजित की गई । बैठक का आरंभ माँ भारती और माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित और दीप प्रज्वलित कर किया गया । तत्पश्चात कवयित्री उपासना सिन्हा ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम की भक्ति से सराबोर एक भजन प्रस्तुत किया। इस बैठक में ग्राहक पंचायत के बैनर तले विमोचित पुस्तक "आरोहण" की समीक्षा भी की गई ।
हरित घर पर बोलते हुए आयोजन समिति की उपाध्यक्ष एंजेल उपाध्याय ने कहा कि प्रकृति के समीप रहने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है इसलिए आवास में अधिक से अधिक हरितिमा रखनी चाहिए। डॉक्टर रजनी रंजन ने कहा कि रसोईघर में ही हम धनिया पत्ती और कुछ अन्य पौधे लगा सकते हैं । रसोईघर के जल का उपयोग हम बागवानी में करें तो जल की बचत होगी। रचनाकार और कवयित्री उपासना सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आर ओ जल मशीन की पतली पाइप से निकलते जल को बचाकर उसका फिर से उपयोग कर सकते हैं। बचे खाद्य पदार्थ से खाद बनाया जा सकता है।
आरोहण पुस्तक की समीक्षा करते हुए एबीजीपी पूर्वी सिंहभूम महिला आयाम की प्रमुख लेखिका सरिता सिंह ने कहा कि निडर लेखन साहित्य के लिए आवश्यक है। लेखिका नीता सागर चौधरी ने कहा कि हर महिला की राह में संघर्ष है पर फिर भी लेखन की गति चलती रहनी चाहिए। अध्यक्षीय भाषण देते हुए स्वर्ण जयंती वर्ष आयोजन समिति की सहसचिव डॉक्टर अनीता शर्मा ने कहा कि महिलाओं का जागरण समाज को एक सुदृढ़ दिशा और सकारात्मक सोच भी देता है। जरूरी है कि हम अपने अवकाश के समय का सदुपयोग राष्ट्र चेतना और समाज हित में करें । जीवन में अधिक से अधिक प्राकृतिक वस्तुओं का प्रयोग हो और हम कृत्रिम चीजों से और बनावटी चीजों से दूर रहें।
धन्यवाद ज्ञापन देते हुए प्रांत सचिव डॉक्टर कल्याणी कबीर ने कहा कि प्रकृति की ओर लौटने का संदेश विवेकानंद जी ने भी दिया था और हमें भी अपने घर को इस तरह से व्यवस्थित करना है कि हमारा घर इको फ्रेंडली हो। हम प्राकृतिक रोशनी और सौर ऊर्जा का प्रयोग करें और इससे ही मोबाइल और लैपटॉप चार्ज करें। कार्यक्रम का सफल संचालन किया साहित्यकार और कवयित्री अनीता निधि ने। इस बैठक में एबीजीपी महिला आयाम की प्रांत प्रमुख रूबी लाल, कवयित्री सुष्मिता मिश्रा, समाजसेवी रीना जी की भी गरिमामयी उपस्थिति रही।
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