मुंबई। विश्व हिन्दी अकादमी,मुम्बई और मालवा रंगमंच समिति की ओर से अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर एक संगोष्ठी का आयोजन फ़नकार स्टूडियो, अंधेरी पश्चिम, मुम्बई में किया गया। विषय था: 'अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस और भाषाई आंदोलन'। कार्यक्रम के आरम्भ में जाने-माने उदघोषक अमीन सयानी के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। फिर सुरेश शर्मा जी ने विषय परिवर्तन किया और मोहम्मद वजीहउद्दीन, आनन्द कुमार श्रीवास्तव, दयानंद तिवारी, निलेश दवे, दिनेश लखनपाल, मनीषा उपाध्याय, कालीदास पाण्डेय, अमर सिंह आदि वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इस मौके पर परवेज़ आलम और अवनीश कुमार ने काव्यपाठ, मंजरी देवरस ने लेखक मधु कांकरिया की कहानी का पाठ और रंजना पराशर ने गजल, जूनियर साधना सरगम ने भोजपुरी गीत तथा राज बिसेन ने बॉलीवुड गीत प्रस्तुत किये।
इस कार्यक्रम का संचालन केशव राय ने किया और अंत में इरफान श्रीवास्तव ने सभी का आभार व्यक्त किया। सर्वविदित है कि 21 फरवरी को सारे विश्व में अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 21 फरवरी 2000 को हर वर्ष मातृभाषा दिवस मनाने का निर्णय किया था। आज अपने देश भारत में दर्जनों मातृभाषाओं में सुरक्षित भारतीय संस्कृति और संवेदनाओं को बचाने का प्रयास जरूरी है। इससे भारत की प्रमुख भाषा हिन्दी देश-विदेश में और समृद्ध होगी। इस संगोष्ठी में वक्ताओं ने यह बात जोर देकर कही कि, हमें अपनी मातृभाषा के साथ हिन्दी को सम्पर्क भाषा और राष्ट्रभाषा के रूप में सशक्त करने का भी प्रयास करना होगा।
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