गुवा। दंतैल हाथी का उत्पात व आतंक सारंडा जंगल के गांवों में निरंतर जारी है। 22 फरवरी की देर शाम लगभग साढे़ पांच बजे से उक्त हाथी सारंडा के सुदूरवर्ती करमपदा गांव के मुंडा बस्ती में जाकर तीन ग्रामीणों के घरों को तोड़ दिया एवं घरों में रखे अनाज को खाया, घर के सामान को भारी नुकसान पहुंचाया। इस दौरान हाथी से बचने के लिये भाग रहा जीतू लोहार (50 वर्ष) पिता स्व0 मनरखन लोहार की मौत हृदयाघात की वजह से हो गई। हाथी द्वारा जिनके घर तोडे़ गये हैं उनमें मृतक जीतू लोहार, कुंवर उर्फ कार्तिक सिंह एवं सुरेश तोरकोट का घर शामिल है। तीनों अत्यंत गरीब हैं।
ग्रामीणों ने बताया की विकलांग जीतू लोहार का घर जब हाथी तोड़ रहा था तो जीतू किसी तरह अपनी जान बचाने हेतु विकलांगता के बावजूद वह गोपी के घर तरफ भागा। लेकिन भागने के दौरान हृदयाघात की वजह से रास्ते में हीं दम तोड़ दिया। ग्रामीणों ने बताया की जीतू लोहार जब छोटा था तब वह अपनी आंखों के सामने अपने पीता मनरखन लोहार की हत्या हाथी द्वारा करते देखा था। उसके बाद से वह हाथी से काफी डरता था। पिता के बाद जीतू का मौत का कारण भी हाथी हीं बना। करमपदा गांव से भगाये जाने के बाद हाथी रात लगभग 12 बजे नवागांव के बंग्लाबुरु टोला स्थित बुधिया तोरकोट का घर तोड़ने पहुंचा। घर तोड़ रहा था तभी ग्रामीण एकत्रित होकर उक्त हाथी को भगाने में सफल रहे। इससे बुधिया का घर टूटने से बच गया।
इस हाथी को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों ने वन विभाग से हाथी द्वारा नुकसान पहुंचाये गये लोगों व मृतक के आश्रित को मुआवजा देने की मांग की। इस हाथी की अच्छी खासियत अब तक यह दिखी है कि वह किसी ग्रामीण को अपना निशाना नहीं बना रहा है। वह हमेशा लोगों के घरों को हीं निशाना बनाकर घरों के अंदर रखे खाद्यान्न को हीं खा रहा है। दिन में वह जंगल में छुप जाता है और अंधेरा होते हीं विभिन्न गांवों अथवा शहरों में स्थित घरों को निशाना बना रहा है। हाथी लोगों की भीड़ अथवा आग, पटाखा, तेज शोर आदि से भी नहीं डरता है। यह जंगल के बजाय आबादी वाले क्षेत्रों में प्रतिदिन आ धमक रहा है।
वन विभाग व आम ग्रामीण के निरंतर प्रयास के बावजूद वह भाग नहीं पा रहा है। इस हाथी ने अब तक हिल्टौप के 4, करमपदा के 3, कलैता व मर्चिगड़ा के 3, बहदा का एक समेत कुछ और गांवों समेत दर्जन भर से अधिक लोगों के घर तोड़ चुका है। वन विभाग अपना सारा कार्य छोड़ इसी हाथी के पीछे प्रतिदिन परेशान है। लेकिन हाथी इस क्षेत्र से भाग नहीं पा रहा है।
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