चांडिल। दलमा पर्वत श्रृंखला कोल्हान के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए मनभावन प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्यटन स्थल के लिए प्रसिद्ध है। अनुपम छटा बिखेरती हुई नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य, हरा भरा वन और उसमें रंग विरंगे तितलियों का उड़ना, कोयल की कुक, खरगोश व गिलहरियों की अठखेलियाँ, मोर के मनभावन नृत्य, हाथियों के चिंघाड़ आदि दलमा पर्वत श्रृंखलाओं की पहचान है। यह सब देखकर किसी प्रकृति प्रेमी कवि ने लिखा है ''प्रकृति का सौंदर्य देख मन हर्षित हो उठा, उर में नए गान बने रस छन्द अलंकृत हो उठा, वर्षा की ये बुंदे देख मन हर्षित हो उठा, डालियों पर पक्षियों की चह चहाहट फूलों पर तितलियों का आगमन देख मन और भी आकर्षित हुआ, और तब जाकर ये एहसास हुआ ''प्रकृति'' परमात्मा की सभी कृतियों में अनुपम कृति है''।
ऐसे ही अनुपम नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य से सुसज्जित है यह पर्वत श्रृंखला। यहां के प्राकृतिक धरोहर जैसे नदी, झरना, पर्वत शृंखला आदि विभिन्न मौसम के साथ मनमोहक रंग बदलता है और दिल-ओ-दिमाग को शकुन पहुंचाती है। जमशेदपुर शहर के पास स्थित दलमा पर्वत शृंखला अनुपम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। हिरण की दौड़, पक्षियों की चहचहावट, हाथियों के साथ अनेक जीव जंतुओं को विचरण करते हुए अनायास ही देखा जा सकता है। प्रतिदिन यहां सैकड़ों सैलानी आते हैं। यहां पर स्थित स्टॉल में झारखंड में निर्मित प्राचीन आदिवासी परंपराओं से जुड़ी एक से बढ़कर एक आकर्षक वस्तुएं मिलता है।
देश विदेश के लोग खरीदते हैं सामग्री : शिवानी सिंह : स्टॉल संचालक शिवानी सिंह ने बताया कि झारखंड के हस्तनिर्मित विभिन्न वस्तुओं का देश विदेश के पर्यटकों के बीच काफी मांग है। यहां पर हस्तनिर्मित घर की सजावट के विभिन्न वस्तु, महिलाओं एवं युवतियों के श्रृंगार की वस्तु कान की झुमका, हाथ की बाली, गले की हार आदि काफी लोकप्रिय है।
No comments:
Post a Comment