चांडिल। प्रखंड अंतर्गत दालग्राम में जय राम आश्रम सेवा समिति दालग्राम के द्वारा प्रकृति के बीच निर्मित प्राचीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। समिति के संस्थापक संदीप मंडल ने कहा कि जहां जहां जीव वहां वहां शिव। भक्ति में अपार शक्ति है। शंकर या महादेव अरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन शिव धर्म नाम से जाने जाते हैं में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं।
इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, भिलपती, भिलेश्वर,रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू शिव घर्म शिव-धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय, अय्यपा और गणेश हैं तथा पुत्रियां अशोक सुंदरी, ज्योति और मनसा देवी हैं।
शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है। संदीप मंडल ने बताया कि जो भी सच्चे मन से मंदिर प्रांगण में लगे कटहल के पेड़ में लाल सालु मे बेल पत्र बांधेगा उसका मनो कामना आवशय पूरा होता है।
इस शुभ अवसर पर भाजपा नेत्री निता पारित, रंजीत प्रमाणि, भिमसेन, मुन्ना, आजय मुंडा, फुलचांद सिंह सरदार आदि उपस्थित थे।
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