Default Image

Months format

Show More Text

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

Terhubung

NewsLite - Magazine & News Blogger Template
NewsLite - Magazine & News Blogger Template

Bhopal. धरती को सुरक्षित रखने का एकमात्र रास्ता हरियाली और जल संरक्षण, Greenery and water conservation are the only ways to protect the earth


 पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल विशेष

Upgrade Jharkhand News.  प्रतिवर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीवन जीने की प्रेरणा देता है। इस वर्ष की थीम "पृथ्वी बचाओ" (Planet vs. Plastics) के साथ-साथ पर्यावरण के दो मूलभूत आधार हरियाली और जल संरक्षण पर विचार करना अत्यंत आवश्यक है। ये दोनों ही तत्व न केवल मानव जीवन, बल्कि समस्त जैव विविधता के अस्तित्व की कुंजी हैं।  हरियाली, प्रकृति का हरा सोना कही जा सकती है। वृक्ष और वनस्पतियाँ पृथ्वी के फेफड़े हैं। समुद्र पृथ्वी के सारे अपशिष्ट नैसर्गिक रूप से साफ करने का सबसे बड़ा संयत्र कहा जा सकता है। वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित कर ऑक्सीजन प्रदान करने के साथ-साथ  वृक्ष मिट्टी के कटाव को रोकते हैं, जलवायु को संतुलित करते हैं, और जीव-जंतुओं को आश्रय देते हैं। भारत में वनों का क्षेत्रफल लगभग 21.71प्रतिशत, भारतीय वन सर्वेक्षण 2021 के अनुसार है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार आवश्यक 33 प्रतिशत से  कम है। शहरीकरण, अंधाधुंध निर्माण, और औद्योगिकीकरण के कारण हरियाली का ह्रास एक गंभीर समस्या बन चुका है।  


- वनों की कटाई से मरुस्थलीकरण बढ़ रहा है।  

- प्रदूषण के कारण पेड़ों का जीवनकाल घटा है।  

- जैव विविधता पर संकट।  


 समाधान

- सामुदायिक स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाना।  

- सरकारी योजनाओं जैसे ग्रीन इंडिया मिशन को सक्रियता से लागू करना।  

- शहरी क्षेत्रों में छतों पर बगीचे (टेरेस गार्डनिंग) को बढ़ावा देना।  

 जल संरक्षण

जल ही जीवन है, यह वाक्य भारत जैसे देश में और भी प्रासंगिक है,नीतिआयोग, 2018 के अनुसार 60 करोड़ लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं । नदियों का प्रदूषण, भूजल स्तर का गिरना, और वर्षा जल का अपव्यय जल संकट को गहरा कर रहे हैं।  


 चुनौतियाँ

- कृषि और उद्योगों में जल की अत्यधिक खपत।  

- वर्षा जल संचयन की पारंपरिक प्रणालियों (जैसे कुएँ, तालाब) का विलोपन।  

- नदियों में प्लास्टिक और रासायनिक कचरे के निपटान को रोकना।  


 समाधान

- वर्षा जल संचयन (रेनवाटर हार्वेस्टिंग) को अनिवार्य बनाना।  

- नदियों की सफाई के लिए नमामि गंगे जैसे अभियानों को व्यापक स्तर पर लागू करना।  

- किसानों को ड्रिप सिंचाई और फसल चक्र अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।  

हरियाली और जल संरक्षण दोनों का अटूट नाता है। ये दोनों पहलू एक-दूसरे के पूरक हैं। वृक्ष भूजल स्तर बढ़ाने में मदद करते हैं, जबकि जल के बिना हरियाली संभव नहीं। हरियाली के बिना शुद्ध वातावरण संभव नहीं होता। उदाहरण के लिए, राजस्थान के तरुण भारत संघ ने जल संरक्षण और वनीकरण के माध्यम से अलवर क्षेत्र को हरा-भरा बनाने का वृहद कार्य किया है। इसी प्रकार, केरल की "हरित क्रांति" ने वर्षा जल प्रबंधन को प्राथमिकता देकर कृषि उत्पादन बढ़ाया।

  

 हम क्या कर सकते हैं?

1. व्यक्तिगत स्तर पर-

   - घर में पौधे लगाएँ और पानी की बर्बादी रोकें।  

   - प्लास्टिक का उपयोग कम करके मिट्टी और जल को प्रदूषण से बचाएँ।    

    - वर्षा जल संग्रह प्रारंभ करें।


2. सामुदायिक स्तर पर-

   - गली-मोहल्ले में जागरूकता अभियान चलाएँ।  

   - स्कूलों और कॉलेजों में "इको-क्लब" बनाएँ।  


3. राष्ट्रीय स्तर पर-

   - सरकार को जल शक्ति अभियान और राष्ट्रीय हरित न्यायालय के निर्देशों को कड़ाई से लागू करना चाहिए।  


पृथ्वी दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारी सतत प्रतिबद्धता दोहराने का प्रतीक है। हरियाली और जल संरक्षण के बिना, मानवता का भविष्य अंधकारमय है। हम सब को"थिंक ग्लोबली, एक्ट लोकली" के सिद्धांत पर चलते हुए, अपनी धरती को सुरक्षित रखने की शपथ लेने का समय है। विवेक रंजन श्रीवास्तव



No comments:

Post a Comment

GET THE FASTEST NEWS AROUND YOU

-ADVERTISEMENT-

NewsLite - Magazine & News Blogger Template