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Chaibasa. बोकना में भूमि सीमांकन विवाद को लेकर अपने पारंपरिक हथियारों से लैस ग्रामीण, जमीन सीमांकन के लिए नहीं पहुंचा अधिकारी, Villagers armed with their traditional weapons over land demarcation dispute in Bokna, officer did not arrive for land demarcation,


      

Guwa (Sandeep Gupta) । झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुंडी प्रखंड के बोकना गांव में भूमि सीमांकन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। आज सुबह 6:00 से बोकना गांव के मुंडा विक्रम चाम्पिया के नेतृत्व में जमीन का सीमांकन को लेकर काफी संख्या में ग्रामीणों ने अपने पारंपरिक हथियारों से लेस होकर जमीन सीमांकन का विरोध करने को लेकर डटे रहे, परंतु अभी तक खबर लिखे जाने तक जमीन सीमांकन के लिए नोवामुंडी प्रखंड अंचल कार्यालय से कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। ज्ञात हो कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अंचल अधिकारी कार्यालय से जारी एक आम सूचना के अनुसार, गांव की एक जमीन का सीमांकन आज 8 अप्रैल 2025 को किया जाना है। यह कार्रवाई शिवांस स्टील प्राइवेट लिमिटेड के आवेदन पर की जा रही है, जिसमें कंपनी के प्रतिनिधि मनोज कुमार सिन्हा द्वारा भूमि सीमांकन हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया है।


सूचना के अनुसार, मौजा बोकना, थाना-कोल्हान के तहत खाता संख्या 60, खसरा संख्या 627, कुल रकबा 5.80 एकड़ भूमि का सीमांकन किया जाना है। परंतु इस भूमि को लेकर बोकना गांव के निवासी सुशेन गौड़ ने गंभीर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह जमीन उनके पूर्वज स्व. मिलु गौड़ के नाम पर पुश्तैनी संपत्ति के रूप में दर्ज है और उन्होंने पहले ही अंचल अधिकारी को आवेदन देकर इस संबंध में स्पष्ट कर दिया था। सुशेन गौड़ ने मीडिया से बातचीत में कहा, मैंने पहले ही आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन देकर अंचलाधिकारी से आग्रह किया था कि यह जमीन हमारी पुश्तैनी है। 



इसकी मापी न कराई जाए। लेकिन अब सुनने में आ रहा है कि इस भूमि को किसी कंपनी के पक्ष में सीमांकन करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जो सरासर गलत है। उन्होंने आगे कहा, खाता संख्या-60, प्लॉट संख्या-627 की यह जमीन मेरे दादा जी के नाम दर्ज है। यदि जबरन मापी कराई जाती है, तो पुरे गांव के ग्रामीण मिलकर इसका विरोध करने के लिए तैयार है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस जमीन को एक निजी कंपनी के पक्ष में सीमांकित कर उसे हस्तांतरित करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने प्रशासन पर मिलीभगत का संदेह जताते हुए कहा कि यदि इस मुद्दे पर निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह स्थिति आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती है। ग्रामीणों का कहना है, हम गांव के असली जमीन मालिक हैं, लेकिन सरकारी तंत्र और कंपनी की मिलीभगत से हमारी पुश्तैनी जमीन छीनने की कोशिश हो रही है। अगर प्रशासन ने निष्पक्षता नहीं दिखाई तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। बोकना गांव के कई ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से अंचल कार्यालय को चेताया है कि यदि उक्त भूमि का सीमांकन बलपूर्वक कराया गया तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे। 



साथ ही स्थिति बिगड़ने पर प्रशासन जिम्मेदार होगा। ग्रामीणों ने मांग की है कि सीमांकन से पहले सभी दस्तावेजों की निष्पक्ष जांच की जाए और वास्तविक मालिकाना हक की पुष्टि के बाद ही कोई निर्णय लिया जाए। सुशेन गौड़ द्वारा अंचल कार्यालय को पहले दिए गए आवेदन की प्रति भी नोटिस के उत्तर में संलग्न की गई है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि प्लॉट संख्या 627, खाता संख्या 60 की भूमि उनके दादा मिलु गौड़ के नाम से दर्ज है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि दस्तावेजों की गहनता से जांच की जाए और विवादित भूमि की मापी फिलहाल रोकी जाए। 



बोकना गांव में भूमि सीमांकन को लेकर उठे विवाद ने एक बार फिर झारखंड में जमीन से जुड़ी विसंगतियों और कथित 'भू-माफिया-कंपनी-प्रशासन गठजोड़' की परतें खोल दी हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह स्थिति की गंभीरता को समझे और किसी भी तरह के टकराव से पहले निष्पक्ष जांच कराकर सभी पक्षों को न्याय दे। अन्यथा आने वाले दिनों में यह मामूली सीमांकन एक बड़ा सामाजिक संघर्ष बन सकता है।



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