Jamshedpur (Nagendra) । जिला खान निरीक्षक के द्वारा MM (DR) Act, 1957 तथा Mines Act, 1952 के प्रावधानों की अवहेलना करके पटमदा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है तथा पोखर खोदने के लिए भाड़े पर लाई गई मशीन को असंवैधानिक तरीके से जप्त किया गया है। इस मामले को लेकर सुभाष कुमार शाही ने जिला उपायुक्त अनन्य मित्तल को ज्ञापन देकर प्राथमिकी को रद्द करने और जब्त की गई मशीन को मुक्त करने की गुहार लगाई है। श्री शाही ने ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया है कि जिला खान निरीक्षक द्वारा की गई इस पूरी कार्यवाही को MM (DR) Act, 1957 के विरुद्ध तथा JMMC Rules, 2004 के नियम 3 के अनुरूप नहीं मानते हुए MM (DR) Act की धारा 21 तथा 22 के प्रभावों से मुक्त कार्यवाही घोषित करते हुए दर्ज प्राथमिकी को रदद् करने की न्यायालय को अनुशंशा करने की मांग किया है।
श्री शाही ने कानून का हवाला देते हुए कहा है कि विधान सभा से पारित एवम महामहिम राज्यपाल के अनुमोदन से राज पत्र में प्रकाशित JMMC Rules, 2004 यथा संशोधित के नियम 3 में राज्य सरकार के द्वारा यह स्पट कहा गया है कि इस नियमावली में प्रस्तावित किसी भी नियम का अनुपयोग MM (DR) Act, 1957 के प्रावधानों, इसके तहत बनाई गई केंद्रीय नियमवालियों के प्रावधानों, Mines Act, 1952 के प्रावधानों तथा इसके तहत बनाये गए नियर्मी के प्रावधानों एवम बिहार गौण/लघु खनिज (समानुदान) नियमावली, 1972 के प्रावधानों के अनुरूप की जाने वाली किसी भी कार्यवाही को प्रभावित नहीं कर सकती है। MM (DR) Act, 1957 की प्रस्तावना से यह स्पस्ट है कि संविधान में सातवी अनुसूची की केंद्रीय सूची के क्रमांक 54 से प्राप्त शक्तियों के अनुरूप भारत सरकार द्वारा इस अधिनियम को सरकार के अधिकार के खनिजों के नियमन तथा विकास के लिए अधिनियमित किया गया है।
उन्होंने ज्ञापन में उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान की सातवी अनुसूची की राज्य सूची के क्रमांक 23 में प्रस्तावित प्रावधानों से यह स्पस्ट है कि राज्य सरकार के द्वारा खनिजों का नियमन तथा विकास सिर्फ वैसे अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप किया जा सकेगा जिसे संसद के द्वारा खान एवम खनिजों के नियमन तथा विकास के लिए अनुमोदित किया गया है। केंद्रीय सूची तथा राज्य सूची के प्रावधानों से तथा JMMC Rules, 2004 के नियम 3 से यह स्पस्ट है कि संसद के द्वारा MM (DR) Act, 1957 के तहत अनुमोदित प्रावधार्नी के विरुद्ध खनिजों का नियमन तथा विकास राज्य सरकार अथवा उसके पदाधिकारियों द्वारा नहीं किया जा सकता है।
अतः MM (DR) Act, 1957 में प्रस्तावित mineral तथा minor mineral की परिभाषा से यह स्पस्ट है कि इस अधिनियम में जहाँ भी mineral शब्द का उपयोग हुआ है उसे minor mineral के लिए नहीं समझा जा सकता है। MM (DR) Act, 1957 की धारा 5 (2) में प्रस्तावित प्रावधानों से यह भी स्पस्ट है कि इस अधिनियम के तहत सिर्फ वैसी भूमी को ही खान के रूप में खनन कार्य के लिए नियमित किया जा सकता है जिसमें उपलब्ध खनिज में वैसे खनिज तत्वों का उनके लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानको के अनुरूप होना राज्य सरकार के द्वारा प्रमाणित किया गया है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित मानों के अनुरूप खनिज तत्वों को धारित करने वाले खनिजों को MM (DR) Act, 1957 की धारा 10 तथा 11 में minerals vest in government कहा गया है। MM (DR) amendment Act 56 of 1972 के statement of objects and reason की कंडिका (viii) में भारत की संसद ने राज्य सरकारों को अपने निजी अधिकारों का उपयोग करके अर्थात राज्य सूची के प्रावधानों के अनुरूप, अपने पदाधिकारियों को ऐसा अधिकार देना कहा गया है जिससे कि वे वैसी भूमी में MM (DR) Act, 1957 के प्रभाव वाले खनिजों की खोज कर सकें जिस भूमी में ऐसी किसी भी प्रमाणिक खोज के पहले खनिज लोगों के निजी अधिकार का है। भारत सरकार के द्वारा सरकार के अधिकार के खनिजों की खोज के लिए MM (DR) Act, 1957 की धारा 5(2) (a) के अनुरूप नियमों तथा प्रक्रियाओं को The Minerals (Evidence of the Mineral Contents) Rules, 2015 के रूप में प्रकाशित भी किया गया है।
चूंकि MM (DR) Act, 1957 की प्रस्तावना यह स्पस्ट करती है कि इस अधिनियम को सिर्फ सरकार के अधिकार के खनिजों के लिए अधिनियमित किया गया है इस अधिनियम के तहत सिर्फ वैसे लघु खनिजों को नियमित किया जा सकता है जिनको भारत सरकार ने इसकी धारा 3(e) से प्राप्त शक्तियों के तहत राज पत्र प्रकाशित करके अधिसूचित किया है। बिहार गौण/लघु खनिज नियमावली, 1972 का गठन राज्य सरकार के द्वारा MM (DR) amendment Act 56 of 1972 से संसद द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन में किया गया है और इसी के अनुरूप कार्यवाही करने के लिए JMMC Rules, 2004 में minerals vest in private persons को इसकी अनुसूची 2 में प्रकाशित किया गया है। राज्य सरकार ने MM (DR) Act, 1957 की धारा 23 (C) से प्राप्त शक्तियों का उपयोग करके The Jharkhand Minerals (Prevention of Illegal Mining, Transportation and Storage) Rules, 2017 का गठन सरकार के अधिकार में समाहित कुछ खास खनिजों के लिए किया है। इसमें दी गई खनिज (mineral) की परिभाषा के अनुरूप इसका प्रभाव उन सभौ खनिजों पर है जिनको mineral की परिभाषा में specify नहीं किया गया है। इसका अवलोकन यह दर्शता है कि इसका प्रभाव MM (DR) Act, 1957 की धारा 3 (e) में प्रकाशित building stone, ordinary gravels, ordinary sand (other than used for specified purposes) and ordinary clay पर नहीं है। EP Act, 1986 के तहत भारत सरकार द्वारा जारी पर्यावरणीय अधिसूचना EIA Notification, 2006 पर्यावरणीय सहमति सिर्फ वैसे mining projects पर प्रभावी करती है जिनमें किया जाने वाला उपक्रम Mine में किया जाने वाला उपक्रम है अर्थात जिसे Mines Act, 1952 की धारा 3 के अनुरूप Mines Act के प्रभावों से मुक्त नहीं किया गया है और जिन पर Mines Act, 1952 की धारा 16 प्रभावी है।
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