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Bhopal.लघुकथाएं-थालियाँ, Short Stories-Plates

 


Upgrade Jharkhand News. तीनों के सामने खाना परोसा गया। एक की थाली में सिर्फ दाल व रोटी, दूसरे की थाली में दाल रोटी के साथ तोरई की सब्जी व तीसरे की थाली में दही व नमकीन भी था। पहिला उसका वृद्ध ससुर, दूसरा पढ़ाई करने वाला देवर व तीसरा कमाने वाला पति था।

 

स्मृति सुख

बूढ़ी दादी ने ज्यों ही बड़े सहेज कर रखी गयी, अपनी सबसे कीमती अमानत कई पोटलियाँ खोलकर भीतर से निकाली, सभी खिलखिलाकर हँस पड़े। वे चाँदी के एक- एक रुपये के तीस सिक्के थे। करोड़पति परिवार की मुखिया रुक्मिणी दादी अपने नाती- पोतों को 60-65 साल से सहेज कर रखी गयी, अपने जीवन की अनमोल सम्पति दिखा रहीं थीं। "अरे ये भी कोई धन है! इससे तो सभी बच्चों की एक आउटिंग पार्टी भी नहीं हो सकती?" छोटा मोनू व्यंग्य से बोल पड़ा।



"जब मैंने अपनी सोने की चूड़ियाँ बेचीं थीं, तब इस तरह के साठ सिक्के मिले थे. तीस से तुम्हारे दादाजी ने अपने धंधे को जमाया  व सफलता के शिखर तक पहुँचे, और ये बचे तीस मुसीबत के दिनों के लिए संभालकर कर रखे गये थे।"इन्हें साठ साल तक अंधेरे में रखा गया, उजाले की एक भी किरण ये नहीं देख पाये!नहीं तो ये भी वट वृक्ष बन जाते। पर इससे फर्क क्या पड़ता है,  ये मेरे लिये तुम्हारे दादाजी की  अमूल्य अमानत हैं।" कहते -कहते दादी की आँखें छल छला उठीं, और उन्होंने अपने स्वर्गीय पति की अमानत को फिर से पोटली में संभाल कर रख लिया, स्मृति सुख पाने के लिये. इंजी. अरुण कुमार जैन



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