Upgrade Jharkhand News. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए 252 विशेषज्ञ डाक्टर्स को 2 वर्ष के डिग्री एवं डिप्लोमा कोर्स पूरा करने के पश्चात पंजाब के विभिन्न स्थानों पर तैनात कर दिया गया है। पी.जी एवं डिप्लोमा करने से पहले स्वास्थ्य विभाग ने इन डॉक्टरों से बांड भरवाए थे कि वह अपनी शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात कम से कम 2 वर्ष तक पंजाब सरकार को अपनी सेवाएं देंगे। पहले नीति के अनुसार इन डॉक्टरों को सीनियर रेजिडेंट बना दिया जाता था, जो मेडिकल कॉलेजों में तैनात होते थे। अब इन डॉक्टरों को नई नीति के अनुसार पंजाब के विभिन्न सिविल हॉस्पिटलों में बांडेड सर्विस करनी पड़ेगी, जिसके लिए प्रत्येक डॉक्टर को 81,562 रुपए के लगभग सैलरी दी जाएगी। यदि वह सरकारी नौकरी में नहीं आना चाहते तो उन्हें निर्धारित बांड मनी सरकारी खजाने में जमा करवानी होगी।
देखने में आया है कि सरकारी नीतियों के कारण डॉक्टर सरकारी सेवा में आने से परहेज कर रहे है। प्राइवेट मल्टी स्पेशलिटी अस्पतालों में तीन से चार लाख के पैकेज दिए जा रहे है। इसी कारण पिछले दिनों में फिरोजपुर सहित कई जगहों के सिविल अस्पतालों के कई विशेषज्ञ डॉक्टर जैसे कि बच्चों के स्पेशलिस्ट और ऑर्थो स्पेशलिस्ट सरकारी नियमित नौकरियां छोड़कर प्राइवेट सेक्टर में जा चुके हैं। जहां उन्हें अच्छा भविष्य दिखाई देता है। बड़े-बड़े अस्पतालों में काम करने से शोहरत भी बढ़ती है और कई प्रकार की जटिल सर्जरी करने का भी अनुभव भी मिलता है। सरकार ने फिरोजपुर के सिविल हॉस्पिटलों में विभिन्न विशेषज्ञों,माहिरों को तैनात किया है,जिनकी संख्या 16 है। सिविल अस्पताल फिरोजपुर में आठ माहिर डॉक्टर तैनात किए गए हैं ,जिसमें एनिस्थीसिया विशेषज्ञ , गायनी, माइक्रोबायलॉजी, बच्चों के विशेषज्ञ , टी बी चेस्ट और कानों व गले के डाक्टर शामिल हैं। फिरोजपुर के जीरा सिविल हॉस्पिटल में सात माहिर डॉक्टर तैनात किए गए हैं , जिनमें रेडियोलाजिस्ट,सर्जन , गायनी,पैथालोजिस्ट, एनीस्थीसिया और एक जनरल मेडिसन हैं,जबकि गुरुहरसहाय में एनीस्थिसिया का एक विशेषज्ञ लगाया गया है। हैरानी की बात यह है कि अभी तक एक भी डॉक्टर ड्यूटी पर हाजिर नहीं हुआ जैसे कि पहले बताया जा चुका है कि इन बांडेड डॉक्टरों को सरकारी नौकरी करनी पड़ेगी।
सूत्रों से पता चला है कि सिविल अस्पताल में दोनों महिला गाइनेकोलॉजिस्ट छुट्टी पर जाने वाली है यदि नई गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर हाजिर नहीं होती तो जच्चा बच्चा विभाग में भारी समस्या बन सकती है। उधर, डॉक्टरों की सरकारी यूनियन पी.सी.एम.एस का कहना है कि विशेषज्ञ डॉक्टर को कम वेतन पर काम करने को कहा जा रहा है जो काफी चिंता का विषय है , इन डॉक्टरों को सरकारी डॉक्टर जितना वेतन और उनके साथ-साथ भत्तों को देकर संतुष्ट किया जाना चाहिए। आजकल इतना वेतन आम स्टाफ नर्स ले रही है, यह सरकार द्वारा विशेषज्ञ डॉक्टरों का खुलेआम शोषण है। कई डॉक्टरों ने तो बांड मनी जमा करवाने का मन बनाया हुआ है और वह सरकारी नौकरी में नहीं आना चाहते ,क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में उनका भविष्य काफी अच्छा है। सरकार की नीतियां ठीक ना होने के कारण ही डॉक्टर सरकारी जॉब में नहीं आना चाहते जबकि विशेषज्ञ डॉक्टर को मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पतालों में आकर्षित करने के लिए ऊंचे ऊंचे वेतन और इनसेंटिव दिए जा रहे हैं। सुभाष आनंद
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