Default Image

Months format

Show More Text

Load More

Related Posts Widget

Article Navigation

Contact Us Form

Terhubung

NewsLite - Magazine & News Blogger Template
NewsLite - Magazine & News Blogger Template

Bhopal लघुकथा : जागो तभी सवेरा , Short story: Wake up only then the morning will come

 


Upgrade Jharkhand News. लिव-इन -रिलेशन में लगभग दो बरस से सुमित के संग रहने वाली शुभि उस दिन उदास थी, कि रति ने पूछ ही लिया - "क्या मैं चेहरे पर पसरी उदासी का कारण जान सकती हूँ ?"" कोई एक कारण हो तो गिनाऊं। महानगर में रहना मुझे रास आ रहा है और सुमित का साथ भी, मगर मम्मी - पापा मुझ पर शादी के लिए दवाब बना रहे हैं। कहते हैं समय से शादी कर ले, अन्यथा उम्र बढ़ने पर विवाह करना आसान नहीं होगा।" शुभि ने कहा। "सही तो कहते हैं मम्मी -पापा।  उनकी बात मान क्यों नहीं लेती ?" रति ने कहा। "शादी किस के साथ करूँ , सुमित मुझे पसंद है , किन्तु वह शादी को बंधन मानता है। शादी के नाम से दूर भागता है , किसी अन्य के साथ शादी करूँ , यह मेरे लिए संभव नहीं है। क्योंकि सुमित मेरी स्मृतियों में सदैव बसा रहेगा।" शुभि ने अपनी समस्या बताई। 



"शुभि एक बात कहूँ बुरा मत मानना, भावना में बहकर तू अपना जितना नुकसान कर रही है अभी तू समझ नहीं पा रही है। सुमित से दो टूक बात कर। क्या जैसा तू सुमित के बारे में सोचती है,वैसा ही सुमित तेरे बारे में सोचता है। क्या यह रिलेशन वह उम्र भर निभाने के लिए तैयार है ? कहीं ऐसा तो नहीं कि वह तेरी भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा हो तथा निकट भविष्य में अपनी इच्छानुसार किसी और से विवाह रचाए ?" रति ने प्रश्न किया। 

"कह नहीं सकती। " शुभि ने कहा। 

"कह नहीं सकती या सत्य स्वीकारना नहीं चाहती ?" रति ने शुभि की आँखों में झाँका। 

" कुछ भी समझ ले, मगर अब मैं कोई भी निर्णय नहीं ले पा रही हूँ।" शुभि ने सपाट भाव से कहा। 

" सुन सशक्तिकरण और आधुनिक दृष्टिकोण में बुराई नहीं है। इसके विपरीत सारी मर्यादाएं और परम्पराएं बुरी नहीं होती। शादी भी एक मर्यादित आचरण को स्वीकारने का नाम है। पहले तो हम मर्यादा का उल्लंघन करके ऐसे रिश्तों की नींव रख लेते हैं।  बाद में इन्हीं रिश्तों की कालिख भविष्य पर ही प्रश्नचिन्ह लगा देती है। जागो तभी सवेरा। मेरी सलाह है कि शीघ्र मम्मी-पापा की बात मान और सुमित से पीछा छुड़ा ले। आगे तेरी मर्जी। " रति ने अंततः दो टूक राय दे ही दी। 

शुभि विचारमग्न थी, किन्तु एक बार फिर वह सुमित का दो टूक फैसला भी सुन लेना चाहती थी। डॉ. सुधाकर आशावादी



No comments:

Post a Comment

GET THE FASTEST NEWS AROUND YOU

-ADVERTISEMENT-

NewsLite - Magazine & News Blogger Template