Upgrade Jharkhand News. माँ-तू जननी है, जीवन-संवारनी भी,
तू ममता की नदी है, तू संस्कारों की धारा।
तू प्रेरणा की प्रतिमा, तू धैर्य की पहाड़ी,
तू शब्दों से परे, एक अलौकिक सारा।
तेरे आँचल में समाए हैं सातों समुद्र,
तेरे हृदय में बसते हैं नवखंडों के सूरज।
तेरे स्नेह-स्पर्श में है तीनों लोकों की महिमा,
तेरे कंठ की लोरी में समस्त वेदों की ऋचा।
तू मेरे जीवन की जन्मदात्री है मां,
तू है प्रथम गुरु, तू ही प्रथम देवालय।
हर बार जब ईश्वर अवतरित होता है,
तू ही बनती है उसका पहला आश्रय।
तेरे कर्मों में झलकती है सृष्टि की संकल्पना,
तेरे नयनों में छिपी है करुणा की भाषा।
तेरी मौन वाणी में होती है दुआओं की शुद्ध गूंज,
तेरी मुस्कान में खिलता है विश्वास का चंद्रमा।
तेरे पदचिह्नों को दशों दिशाएं पूजती हैं,
तेरे आशीष से नियति की धारा भी पलटती हैं।
तू त्याग की मिसाल, तू वात्सल्य का भंडार,
तेरे बिना जीवन जैसे दीप बिना बाती-अंधकार।
माँ, तेरे मन में हैं नवखंड, तेरे विचारों में सप्तलोक,
तेरे हृदय में छिपे हैं समस्त तीर्थ, सारे काल।
तू गर्भगृह है उस ज्योति का, जो
ब्रह्म से भी परम है-अभिनव, अखंड, निराकार।
तेरा नाम, माँ -हर संज्ञा का सार, हर विशेषण की आत्मा।
तेरे आंसुओं में है वजन, तेरी झिड़की में शिक्षा का दर्पण।
तेरे हाथों से मिला पहला अन्न, तेरे अंग से बंधी मेरी पहचान।
माँ तेरी लोरी ही बनी मेरे जीवन की संगीत की पहली तान,
तेरे दूध में घुला धर्म, तेरी नज़र में बसी जान।
माँ, तू ही धरती, तू ही आकाश, तेरे बिना जीवन एक प्यासा राग।
तेरा त्याग है धर्म, तेरा प्रेम है ग्रंथ, तेरे चरणों में ही बसते हैं सारे तीर्थ।
कोटि नमन है तुझे माँ -
जिसने रक्त में प्रेम, और प्राणों में धैर्य घोल दिया,
जिसने त्याग को जीवन, और मौन को वाणी बना दिया।
नरेंद्र शर्मा परवाना
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