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Bhopal दृष्टिकोण -प्रश्नों के घेरे में नारी सम्मान विमर्श Viewpoint - Discussion on women's respect surrounded by questions

 


Upgrade Jharkhand News. अपशब्द, गुंडागर्दी, नारी के विरुद्ध अपराध जैसे गंभीर विषयों पर अराजक तत्वों का समर्थन करने वाली समाजवादी पार्टी अपने ही बुने ज़ाल में फँसती नजर आ रही है। बच्चों से गलती हो जाती है, जैसे वाक्य बोलकर गुंडों की पीठ थपथपाने वाली समाजवादी पार्टी के इतिहास से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। अपराधियों में पीड़ित और दबंग अपराधियों का जाति विभेद के अनुसार समर्थन व विरोध करने वाली समाजवादी पार्टी मौलाना साजिद रशीदी द्वारा सांसद डिम्पल यादव के पहनावे पर की गई टिप्पणी पर पिछले पायदान पर खड़ी हो गई है। मौलाना साजिद का बयान सपा के लिए साँप के गले में छछून्दर सरीखा अटक गया है, जिसका न विरोध करते बन रहा है और न ही समर्थन करते। सच यह भी है कि राजनीति केवल स्वार्थ की भाषा बोलती व समझती है। मान अपमान राजनीति के लिए कोई मायने नहीं रखते। यदि राजनीति में आत्मगौरव व आत्म सम्मान का कोई स्थान होता, तो समाजवादी पार्टी और उसके साथ विपक्ष में खड़े राजनीतिक दल लाभ हानि जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ मानकर समाजवादी पार्टी की सांसद श्रीमती डिम्पल यादव के पहनावे पर की गई टिप्पणी पर चुप्पी साधने हेतु विवश न होते। 



राजनीति में दोगलेपन का इससे निकृष्ट उदाहरण क्या होगा कि सपा सांसद श्रीमती डिम्पल यादव के पहनावे पर एक धर्म गुरु मौलाना साजिद रशीदी द्वारा की गई अशोभनीय टिप्पणी पर समाजवादी पार्टी व उससे जुड़ा गठबंधन शर्मिंदगी का अनुभव नहीं कर रहा है तथा अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए  न मौलाना साजिद रशीदी के विरुद्ध सड़कों पर उतर रहा है और न ही उनके विरुद्ध दंडनीय कार्यवाही की माँग कर रहा है। बात बात पर सरकार को घेरने वाले विपक्ष का अपने ही गठबंधन की सांसद की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले बयान का विरोध न करना यही सिद्ध करता है कि पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक की राजनीति करने का दंभ भरने वाला विपक्ष केवल मतलब की विघटनकारी राजनीति तक ही सीमित है। धार्मिक व्यक्ति की टिप्पणी का विरोध न करने के पीछे उसकी मजबूरी यही है, कि कहीं उसके विरोध के चलते अल्पसंख्यक वोट बैंक उससे न छिटक जाए। निस्संदेह नारी सम्मान, दलित उत्पीड़न तथा अन्य अनेक विषयों पर यदि दमनकारी तत्व सपा से जुड़े होते हैं, तब समाजवादी पार्टी के होंठ सिल जाते हैं। समझ नहीं आता कि संकीर्ण राजनीति के इस कुत्सित खेल में समाजवादी पार्टी कब तक अपनी प्रतिनिधि सांसद का अपमान सहने के लिए विवश रहेगी तथा अवांछित मुद्दों को बहस का विषय बनाने वाला विपक्ष इस अपमान का घूँट पीकर अपमानित क्यों नहीं हो रहा है ?सुधाकर आशावादी



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