Upgrade Jharkhand News. मुद्दे चाहे कितने भी राष्ट्र हित के हों, किंतु देश में एक ऐसा वर्ग सक्रिय है, जिसका मुख्य उद्देश्य ही सत्य से आँख फेरकर केवल विरोध के नाम पर विरोध करना है। वह विकास के मुद्दों को नकार कर अनेक ऐसे मुद्दों पर अपना समय व श्रम बर्बाद करता है, जिन मुद्दों का विकास या राष्ट्रीय एकता व अखंडता से कोई सरोकार नहीं होता। जबकि देश के विभिन्न प्रांतों में सत्ता की बागडोर संभालने वाले अनेक राजनेता आज भी ऐसे हैं, जो सत्य का समर्थन करने से नहीं कतराते तथा ग़लत बात का किसी भी सूरत में समर्थन नहीं करते। इस दृष्टि से जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला लीक से हटकर प्रतीत होते हैं। जहां एक ओर कश्मीर के कुछ अलगाववादी नेता बार बार पाकिस्तान से वार्ता करके पाकिस्तान का विश्वास अर्जित करने की बात करते हैं। वहीं उमर अब्दुल्ला को कश्मीर का सच स्वीकारने में कोई आपत्ति नहीं होती। कहना गलत न होगा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर अपनी आदत के अनुसार भले ही विपक्ष प्रश्न चिन्ह खड़े करे, किंतु उसके उपरांत कश्मीर का पर्यटन उद्योग प्रभावित हुआ है। जिसके लिए जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों को प्रदेश के विकास में बाधक माना है। यदि ऐसा न होता तो मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को यह नहीं कहना पड़ता कि पाक की भारत विरोधी नीतियों के चलते जम्मू कश्मीर आतंक से मुक्त नहीं हो पाया है। उन्होंने पाकिस्तान को दो टूक कहा है कि किसी भी आतंकी हमले को युद्ध माना जाएगा तथा उसके जिम्मेदारों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विचार किया जाए, तो स्पष्ट होगा कि जिनके लिए राष्ट्र की एकता व अखंडता सर्वोपरि है, उनकी दृष्टि में अराजक और आतंकवादी गतिविधियाँ राष्ट्र विरोधी कृत्य ही हैं, जिनका किसी भी स्थिति में समर्थन नहीं किया जा सकता।
विडंबना यह है कि शांति और सद्भाव की दिशा में अग्रसर कश्मीर कुछ विपक्षी दलों को रास नहीं आ रहा है। वे पग पग पर कश्मीर मुद्दे को उछालकर केंद्र सरकार के विरुद्ध नकारात्मक विमर्श प्रस्तुत करने के अवसर की तलाश में रहते हैं। सड़क से लेकर संसद तक उनका कार्य ही विरोध के नाम पर विरोध व्यक्त करना है। यह चिंतनीय व विचारणीय बिंदु है कि संकीर्ण दलगत राजनीति के चलते राष्ट्रीय एकता व अखंडता के विरुद्ध कुछ राजनीतिक दल राष्ट्र भक्ति की मूल धारा के विरुद्ध आचरण करने से बाज क्यों नही आते। डॉ. सुधाकर आशावादी
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