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Jamshedpur परम पुरुष को जानने के लिए भक्ति की आवश्यकता है भौतिक वस्तु से परम पुरुष खुश नहीं होते Devotion is required to know the Supreme Being. The Supreme Being is not happy with material things.

 


Jamshedpur (Nagendra) । आनंद मार्ग प्रचारक संघ कि ओर से  विभिन्न क्षेत्र में घूम-घूम कर परमात्मा के भाव को बताया गया। बारीगोड़ा  में एक तत्व सभा को संबोधित करते हुए सुनील आनंद ने कहा कि मनुष्य का हृदय ही परम पुरुष का वास स्थान है ,मनुष्य इधर से उधर भटक रहा है परमात्मा की खोज में परंतु उसे क्या पता की मनुष्य का शरीर ही मंदिर है , हृदय परम पुरुष का वास स्थान एवं मनुष्य स्वयं अपने इस मंदिर का पौरोहित है। परम पुरुष को जानने के लिए भक्ति की आवश्यकता है और वह भक्ति किसी भौतिक वस्तु से पूर्ण नहीं होती उसके लिए भक्त को कीर्तन ,साधना करनी होगी तभी परम पुरुष को भक्त खुश कर सकता है। 



कीर्तन वह भी अनन्य भाव का कीर्तन जिसमें केवल तुम ही हो का भाव है दूसरा और कोई नहीं " बाबा नाम केवलम " अनन्य भाव का कीर्तन है मेरे पिता परमपिता परमेश्वर है वही मेरे मालिक है इसका भाव आना ही बहुत बड़ी बात है यह बहुत ही किस्मत वाले भक्तों को आता है जिनको इस तरह का भाव आ गया मानो उनकी सभी स्तर के समस्याओं का निदान व्यवहारिक रूप से सफल होता चला जाएगा। पृथ्वी पर तमोगुण एवं रजोगुणी शक्ति का प्रभाव कम होगा और सतोगुणी शक्ति बढ़ेगी जिससे सृष्टि का कल्याण संभव है।



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