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Bhopal दृष्टिकोण -संवैधानिक संस्थाओं के सम्मुख यक्ष प्रश्न Viewpoint - The tough question facing constitutional institutions

 


Upgrade Jharkhand News. स्वस्थ लोकतंत्र को विकलांग बनाने का प्रयास करने वाले तत्वों की देश में बाढ़ सी आ गई है। यदि ऐसा न होता तो सत्य के विरुद्ध बोलने वाले तत्व संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करके देश में अराजकता का वातावरण बनाने का प्रयास न करते। विडंबना है कि चुनाव प्रक्रिया पर आम आदमी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती। आरोप लगाने वाले तत्व अपने आरोपों के समर्थन में उत्तरदायित्व लेने की जगह चीखने चिल्लाने और जनता को गुमराह करने तक ही सीमित रहते हैं। अराजक तत्वों को अपने हार के कारणों की ज़मीनी सच्चाई का सामना करने से डर लगता है, सो उनकी दोहरी सोच बार बार उनके आरोपों को संदेह के घेरे में लेती है। 



उन्हें हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल में वोट चोरी के प्रमाण नहीं मिलते। यदि मतदाता सूची में से मृतकों के नाम काटे जा रहे हैं या एक से अधिक स्थानों पर किसी एक मतदाता का नाम होने पर उसका नाम हटाया जा रहा हो, तब भी आपत्ति है। अराजक तत्वों को ऐसा ही क्यों प्रतीत हो रहा है कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण में वही फर्जी वोट काटे जा रहे हैं, जिन पर आरोप लगाने वाले तत्वों का ही एकाधिकार सुरक्षित था ? विषय गंभीर है। देश की सभी संवैधानिक संस्थाओं के सम्मुख यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि अनर्गल और अप्रामाणिक आरोपों से किस प्रकार निपटें, जिससे कि संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा बची रह सके। अभिव्यक्ति के नाम पर अप्रामाणिक आरोप लगाना आपराधिक श्रेणी में आता है, सो क्यों न समाज में झूठ पर आधारित अराजकता फैलाने वाले विमर्श का विस्तार करने वाले तत्वों को कड़ा सबक सिखाया जाए ?



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