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Chaibasa मनोहरपुर में 'हब्बा-डब्बा' जुए का साम्राज्य, पुलिस की नाक के नीचे उड़ रही कानून की धज्जियां 'Habba-Dabba' gambling empire in Manoharpur, law is being flouted right under the nose of the police

 


Guwa (Sandeep Gupta) । पश्चिमी सिंहभूम के मनोहरपुर थाना क्षेत्र में इन दिनों मुर्गा पाड़ा की आड़ में 'हब्बा-डब्बा' जैसे प्रतिबंधित जुए का खेल खुलेआम संचालित हो रहा है। यह सिर्फ एक साधारण जुआ नहीं, बल्कि एक संगठित और सुनियोजित अवैध कारोबार है, जिसकी भनक पुलिस-प्रशासन तक को है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सन्नाटा पसरा है। इस खेल में गरीब आदिवासी मजदूर, छोटे किसान, दैनिक भोगी मजदूर से लेकर कस्बे के संपन्न लोग और युवा वर्ग तक फंस जाते हैं। कई लोग अपनी मेहनत की महीनों की कमाई एक ही रात में गंवा कर घर लौटते हैं। पैसा हारने के बाद कई घरों में झगड़े और घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। कई महिलाएं तो अब खुलकर कह रही हैं कि उनके पति या बेटे दिन-रात जुए में बर्बाद हो रहे हैं। 



जुआ के ठिकानों पर न सिर्फ पैसे का खेल होता है, बल्कि अवैध शराब के अड्डे भी खुलेआम चलते हैं। यहां महंगी विदेशी शराब से लेकर सस्ती देसी शराब तक सब उपलब्ध है। शराब और जुए का यह संगम युवाओं के जीवन को अंधेरे में धकेल रहा है। इन अवैध आयोजनों में सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि झारखंड और ओडिशा के दूर-दराज से भी लोग महंगी गाड़ियों में पहुंचते हैं। मौके पर खड़े महंगे SUV और मोटरसाइकिलें यह साबित करती हैं कि यह कोई छोटा-मोटा खेल नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर चल रहा धंधा है। स्थानीय सूत्रों के मुताबिक इस जुए का संचालन मनोहरपुर का एक चर्चित संगठित गिरोह करता है। इनके पास पैसा, पहुंच और राजनीतिक-सामाजिक दबदबा तीनों है। यही वजह है कि पुलिस भी इनके खिलाफ सख्त कदम उठाने से कतराती है। विश्वस्त सूत्रों ने खुलासा किया कि 4, 5, 6 अगस्त को घाघरा में आयोजन हुआ। 9 अगस्त को पोटका में खेला गया। और 10 अगस्त को मेदासाईं में आयोजन की तैयारी पूरी है।



इन लगातार आयोजनों से साफ है कि यह कोई छुपा-छुपी वाला खेल नहीं, बल्कि सार्वजनिक चुनौती है कानून और पुलिस-प्रशासन को। सबसे बड़ा सवाल यही है कि जिनके ऊपर इस अवैध जुए को रोकने की जिम्मेदारी है, अगर वही मौन रहें या इशारों-इशारों में इसे चलने दें, तो आम और सभ्य जनता किसके पास शिकायत करने जाएगी? स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ पुलिसकर्मी और प्रभावशाली लोग इस खेल से आर्थिक लाभ उठा रहे हैं, इसी वजह से कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो वे खुद सड़क पर उतर कर इस जुए के अड्डों के खिलाफ आंदोलन करेंगे। गांव के कई बुजुर्ग और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस बात पर सहमत हैं कि अब और चुप रहना खतरे को बुलाना है।



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