Upgrade Jharkhand News. संसद में संथाली भाषा के शामिल होने पर आदिवासी समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है। असेका के महासचिव शंकर सोरेन ने संसद में संथाली भाषा को शामिल करने को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के प्रति आभार जताते हुए धन्यवाद दिया हैं। उन्होंने कहा कि संसद की कार्यवाही में संथाली भाषा के शामिल होने से आदिवासियों के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
वहीं, झारखंड, बिहार, असम व पश्चिम बंगाल के आदिवासी समाज के लोग भी अपनी बात आसानी व सहज भाव से संसद में रख सकेंगे। उन्होंने जानकारी दी कि संथाली समेत मुंडारी, आस्ट्रिक एक प्रमुख पुरानी भाषा है, इसका लिपि ओलचिकी ही है। उन्होंने कहा कि ओलचिकी भाषा डिजिटल इनोवेशन हो गया है। मोबाइल में ओलचिकी से हर प्रकार का कार्य होता है। इस भाषा की मान्यता एनसीईआरटी की साहित्य अकादमी, नई दिल्ली समेत असम, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में मिल चुकी है।
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