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Jamshedpur आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने 1939 में प्रथम दीक्षा दुर्दांत डकैत कालीचरण चट्टोपाध्याय को दिया In 1939, Anand Marg founder Sri Sri Anandamurti gave the first initiation to the dreaded dacoit Kalicharan Chattopadhyay

 


Jamshedpur (Nagendra) । आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से गदरा आनंद मार्ग जागृति  में 3 घंटे का बाबा नाम केवलम अखंड कीर्तन एवं लगभग 300 नारायणो को भोजन कराया गया इस अवसर पर  कोलकाता रीजन के रीजनल सेक्रेटरी आचार्य ब्रजगोपालानंद  अवधूत ने कहा किआनंद मार्ग के प्रवर्तक भगवान श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने आज ही के दिन वर्ष 1939 में प्रथम दीक्षा श्रावणी पूर्णिमा कि रात्रि में काशी मित्रा घाट पर दुर्दांत डकैत कालीचरण चट्टोपाध्याय को दिया था जो बाद में आचार्य कालिकानंद कालिकानंद अवधूत के रूप में प्रचलित हुए।



इसी दिन एक नई सभ्यता की नींव रखी गई। इसी दिन से विश्व को नई दिशा देने के लिए गुरुदेव श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने  योग और तंत्र साधना मुक्ति आकांक्षा प्राप्त व्यक्ति को जाने लगे। आज पूरे विश्व में लाखों लाख आनंदमार्गी  जगत हित के काम में लगे हैं। आचार्य ब्रजगोपालानंद अवधूत  ने कहा कि परम पुरुष कि कृपा ही  तो सर्वत्र है । लेकिन आप जानते हो, बारिस के समय क्या होता है ? यदि वर्षा के समय आप छाता लगाये हो, तो आप भींगोगे नहीं और जब आप छाता हटा लोगे, तो आप भींग जाओगे । अत: परमपुरुष की कृपा उसी बारिस के समान है । यदि आप अपने सिर पर अहंकार की छतरी लगाये हुए हो, तो आप परमपुरुष की कृपा बारिस से भींगोगे नहीं। इस अहंकार की छतरी को हटा दो और उनकी कृपा बारिस से भींग जाओ, तब उनकी कृपा का रसास्वादन पाओगे , यही रहस्य है



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