Jamshedpur (Nagendra) झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन ने कहा कि आदिवासी समुदाय के नेता अक्टूबर में रांची जिले के नगरी में एक ‘आदिवासी महादरबार’ का आयोजन करेंगे। जिसमें करोड़ों रुपये के सरकारी स्वास्थ्य संस्थान के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ भविष्य की रणनीति तैयार की जाएगी। चंपई सोरेन को इसी मुद्दे पर आदिवासी संगठनों द्वारा ‘हल जोतो, रोपा रोपो’ नाम से आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान कानून एवं व्यवस्था की संभावित समस्या की आशंका के मद्देनजर पिछले रविवार को नजरबंद कर दिया गया था। बीस से अधिक आदिवासी समूहों, किसानों और भूमि मालिकों ने उस स्थल पर आंदोलन में भाग लिया जहां झारखंड सरकार द्वारा 1,074 करोड़ रुपये की रिम्स-2 अस्पताल परियोजना प्रस्तावित की गई है। सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक चंपई सोरेन ने एक बयान में कहा कि एक बार फिर, मैं सरकार को याद दिलाना चाहूंगा कि हमारा विरोध प्रस्तावित रिम्स-2 अस्पताल के खिलाफ नहीं है। एक नहीं, राज्य सरकार दस अस्पताल बनाएं, लेकिन किसानों की कृषि भूमि पर बिल्कुल नहीं, क्योंकि मनुष्य को दवा से ज्यादा अनाज की जरूरत है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जब भी आदिवासियों / मूलवासियों की भूमि अधिग्रहण करने या उन्हें विस्थापित करने का कोई प्रयास किया जाएगा, मैं इसका विरोध करूंगा और समुदाय के साथ खड़ा रहूंगा। नगरी में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद अपने और अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी का हवाला देते हुए श्री सोरेन ने कहा कि आदिवासी विरोधी सरकार को पता होना चाहिए कि अपनी जमीन पर हल चलाना और पौधे रोपना कोई अपराध नहीं है। इसलिए सरकार को मामला वापस लेना चाहिए। नगरी विरोध प्रदर्शन के दौरान बाहरी लोगों को लाने के मंत्रियों और विधायकों द्वारा लगाए गए आरोपों पर टिप्पणी करते हुए, सोरेन ने सवाल किया।
‘मैं उनसे प्राथमिकी देखने के लिए कहूंगा, जिसमें केवल आदिवासियों और मूलवासियों के नाम ही आरोपियों के रूप में दर्ज हैं। सोरेन ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की मानसिकता समझी जा सकती है जो आदिवासी समुदाय के सदस्यों को बाहरी बताती है और बांग्लादेशी घुसपैठियों को अपना मानती है।
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