Jamshedpur (Nagendra) जिला विधिक सेवा प्राधिकार, व्यवहार न्यायालय, पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर द्वारा शुक्रवार को न्याय सदन कॉन्फ्रेंस हॉल में शुक्रवार को मोटर एक्सीडेंट क्लेम केस पर जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जिला जज तृतीय आनंदमणि त्रिपाठी एवं जिला जज पंचम मंजू कुमारी द्वारा सड़क दुर्घटना से संबंधित कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी गई। साथ ही इस संबंध में उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए विभिन्न निर्देशों से भी सभी अनुसंधान कर्ताओं को अवगत कराया गया।
कार्यशाला में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर, रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्मेंट के इंजीनियर, शहरी क्षेत्र के विभिन्न थानों के अनुसंधानक , मध्यस्थ अधिवक्ता और डालसा के पैनल लॉयर्स व पीएलवी ने हिस्सा लिया। वहीं मौके पर उपस्थित समूह को संबोधित करते हुए डालसा सचिव धर्मेंद्र कुमार ने मोटर एक्सीडेंट से जुड़े विभिन्न कानूनी पहलुओं की अनुसंधानकों को जानकारी दी। उन्होंने एक्सीडेंटल मामले में अनुसंधान की निर्धारित समय सीमा, नियम और कोर्ट में चार्जसीट दाखिल कर दिए जाने से संबंधित जानकारी भी दी। प्रभावित व्यक्ति को मुआवजा दिलाने और उसकी कौन-कौन सी प्रक्रिया है , इस बारे में भी उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। सचिव धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि बहुत से ऐसे मामले आते हैं जिनमें विक्टिम को इसकी जानकारी नहीं हो पाती कि उसे कैसे और कानून के किस परिधि में रहकर मुआवजा का लाभ मिलेगा।
जानकारी के अभाव में लोग मुआवजा से वंचित रह जाते हैं । इसके लिए समय-समय पर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यशाला आयोजित की जाती है और लोगों को इस संबंध में जागरूक किया जाता है और विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी जाती है। उन्होंने बताया कि अगर ड्राइवर की लापरवाही से किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो मृतक के परिजनों को 5 लख रुपए तक का मुआवजा का प्रावधान है। जहां तक सामाजिक सुरक्षा की बात है तो सामाजिक सुरक्षा की जिम्मेवारी सरकारी बीमा कंपनियां की होती है। पुलिस की ड्यूटी होती है कि वह आवेदक और वाहन मालिक को कोर्ट में प्रस्तुत करें, ताकि मामले के निपटारे में अनावश्यक विलंब ना हो और कोर्ट का भी समय बर्बाद ना हो। साथ ही पीड़ित को मुआवजे की राशि समय पर मिल जाए। विधिक सेवा प्राधिकार का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें सस्ता और सुलभ न्याय उपलब्ध कराना भी है।
उन्होंने बताया हिट एंड रन जैसे मामलों में यानी जिस दुर्घटना में वाहन का कुछ पता ना चल पाए वैसे मामले में भी विक्टिम को ₹200000 तक के मुआवजे का प्रावधान है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के नए संशोधन में कई आदेश और निर्देश आए हैं जिसका अनुपालन किया जाना आवश्यक है। डालसा सचिव ने इस संबंध में भी अनुसंधानको और पुलिस अधिकारियों को जानकारी दी। साथ ही अधिवक्ताओं को भी रोड एक्सीडेंट के मामलों में पीड़ित का पक्ष रखने के लिए कानून की विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी गई। सचिव धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का हाल फिलहाल एक डायरेक्शन है जिसके तहत सभी जिलों में एक्सीडेंटल थाना की स्थापना और उसमें कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग के निर्देश भी दिए गए हैं। लेकिन अभी तक इन निर्देशों पर अमल नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि जो भी एक्सीडेंटल केस होते हैं और मुआवजे से संबंधित आदेश निर्देश होते हैं यह आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा दिए जाते हैं। एक्सीडेंटल मामले में क्लेम कैसे निर्धारित होता है इसकी भी जानकारी उपस्थित समूह को दी गई ताकि इस तरह के मामलों में कोर्ट को भी अपना निर्णय देने में सहूलियत हो और पीड़ित व्यक्ति को कम समय में ही उसके मुआवजे का भुगतान हो सके।



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