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Bhopal दृष्टिकोण -घुसपैठियों का समर्थन भी राष्ट्रद्रोही कृत्य Viewpoint: Supporting infiltrators is also a treasonous act.

 


Upgrade Jharkhand News. देश की राजधानी से लेकर देश के सीमांत प्रदेशों तक में घुसपैठियों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय  है, यदि समय रहते इनके विरुद्ध कठोर अभियान न चलाया गया, तो घुसपैठिए देश के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। कौन नहीं जानता कि देश में जनसंख्या वृद्धि विस्फोटक स्थिति में है। देश की सत्ता को संभाले बैठे लोग अपनी सत्ता पर काबिज रहने के लिए गरीबों के लिए निशुल्क राशन तथा अन्य सुविधाएँ देने में पीछे नहीं हैं। निशुल्क राशन का कोई मानक न होने से अनेक ऐसे परिवार भी मुफ्त राशन का उपयोग कर रहे हैं, जो किसी भी दुर्बल आय वर्ग की श्रेणी में नहीं आते। झुग्गी झोपड़ियों  वाले लोगों की पहचान करना भी मुश्किल है, कि वे देश के नागरिक हैं भी या नहीं। इसी का लाभ उठाकर देश की राजधानी सहित देश के प्रमुख शहरों व गाँवों में घुसपैठियों की आमद बढ़ चुकी है। 



देश के गृहमंत्री भले ही भाजपा शासित प्रदेशों में घुसपैठ पर अंकुश की बात करें, किन्तु कटु सत्य यही है कि देश की सीमाओं से होने वाली घुसपैठ के लिए केंद्र सरकार तथा सीमा सुरक्षा बल को दोषमुक्त नहीं माना जा सकता। यहाँ इस कटु सत्य से भी इंकार नहीं किया जा सकता, कि बिना सुरक्षा बलों की लापरवाही और छूट के किसी भी प्रकार से घुसपैठ संभव नहीं हो सकती। केंद्रीय गृहमंत्री ने दावा किया है कि गुजरात, असम और राजस्थान में अवैध घुसपैठ रुक चुकी है, लेकिन बंगाल और झारखंड में जहां गैर राजग सरकारें हैं,वहां घुसपैठियों को वोट बैंक बना दिया गया है।      



बांग्लादेशी घुसपैठियों रोहिंग्याओं की घुसपैठ को रोकने के लिए प्रशासन कतई गंभीर नहीं है। माना कि कुछ सीमांत प्रदेशों की सरकारें घुसपैठियों के प्रति सहिष्णु हैं तथा उन्हें अपना वोट बैंक मानकर उनके आधार कार्ड और वोटर कार्ड का समर्थन कर रही हैं, तब इस प्रकार की स्थिति का दोषी कौन है ? क्या भारत का कानून इतना लचर है, जो घुसपैठियों के समर्थन में हैं ? यदि नहीं तो भारत की सत्ता घुसपैठियों को खदेड़ने में नाकाम क्यों है ? यदि सीमांत राज्यों की कोई सरकार घुसपैठियों को अपना वोट बैंक मानकर उनके विरुद्ध की जा रही कार्यवाही का विरोध करती है़, तो उस सरकार के मुखिया को राष्ट्रद्रोह का आरोपी क्यों नहीं माना जाना चाहिए? कटु सत्य यही है, कि भय बिनु होई न प्रीत गोसाई की तर्ज पर अवैध रूप से देश में रह रहे घुसपैठियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही होनी अपेक्षित है, यही नहीं, जो भी व्यक्ति या राजनीतिक दल  घुसपैठियों का समर्थन करे। उसे भी क़तई बख्शा नहीं जाना चाहिए। डॉ. सुधाकर आशावादी



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