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Bhopal व्यंग्य -अभिव्यक्ति की आजादी ... Satire - freedom of expression...

 


Upgrade Jharkhand News. वर्तमान युग प्रचार का युग है। अपनी विशेष पहचान बनाने के लिए कुछ ऐसा करना पड़ता है, जिससे कि चर्चा का पात्र बना जा सके। सेलिब्रिटी सा दिखाई देने के लिए खुद को लीक से हटकर दिखाना पड़ता है। कभी पारदर्शी वस्त्र पहनकर आकर्षण का केंद्र बनना पड़ता है। कभी स्वयंवर रचाकर स्वयं को हूर की परी समझना होता है। कभी किसी प्रतिबंधित क्षेत्र में कोई नया ड्रामा रचना पड़ता है। कभी बड़ी हवेली के परिसर में अपने पालतू पशु को ले जाना पड़ता है। उसका प्रवेश प्रतिबंधित होने पर अपने आपको उसी श्रेणी में दर्शाकर उसकी आवाज में उसका प्रतिनिधित्व करना पड़ता है। यानी औरों से अपने आपको अलग सिद्ध करने के लिए बंदे को बेशर्मी ओढ़कर बेपरवाह होना पड़ता है. उसे इस बात से कोई सरोकार नहीं होता, कि लोग क्या कहेंगे। 



आजकल यही हो रहा है। अभिव्यक्ति की आजादी जो है। अभिव्यक्ति चाहे विचारों से व्यक्त की जाए या आचरण से,उद्देश्य केवल एक ही रहता है, कि लोग उसकी ओर ध्यान दें। उसे पहचानें, उसकी बात का समर्थन करें या न करें, लेकिन उसकी चर्चा करें। स्वयं को सेलिब्रिटी समझने की गलतफहमी में कोई भी सार्वजनिक रूप से किसी भी हद को पार कर सकता है। आजकल यही चल रहा है। जब से मोबाइल में रील बनाने का विकल्प आ गया है, तब से हर कोई अपने आप को सेलिब्रिटी समझने से परहेज नहीं कर रहा है। पता नहीं कब कौन निर्माता, निर्देशक, नायक के किरदार में प्रस्तुत कर दे। अपने एक मित्र हैं। मजाकिया अंदाज में उन्होंने कुछ रील बनाई, कुछ लोगों ने उनकी रील से मनोरंजन किया। वह अपने आपको हास्य कलाकार समझने लगे। उनके हास्य के एपिसोड कब अश्लील प्रत्यय में बदल गए। 



उन्हें पता ही नहीं चला, उन्हें पता तब चला, कि जब किसी ने उनके विरुद्ध रपट लिखा दी। बहरहाल किसी की अभिव्यक्ति पर कब किसी और की अभिव्यक्ति भारी पड़ जाए. कहा नहीं जा सकता। एक बार एक प्रख्यात चित्रकार ने अभिव्यक्ति के नाम पर किसी की धार्मिक आस्था का मजाक उड़ाया , तो अनेक आस्थावानों ने उनके घर और स्टूडियो पर हमला करके अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर दी। बाद में हंगामा हुआ, कि हमला अभिव्यक्ति की आजादी पर हुआ, बदले में जवाब दिया गया, कि सबको ही अभिव्यक्ति की आजादी है, किसी एक को नहीं। बहरहाल यदि आजाद हैं, तो अभिव्यक्ति की भी आजादी है, किन्तु यह आजादी किसी एक की बपौती नहीं हो सकती। अभिव्यक्ति की आजादी सभी को है, फिर चाहे कोई राजनेता हो, अभिनेता हो, यूट्यूबर हो, पत्रकार हो या किसी भी प्रकार से अभिव्यक्ति व्यक्त करने वाला। सुधाकर आशावादी



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