Jamshedpur (Nagendra) लौहनगरी जमशेदपुर की युवा कला नाट्य ट्रस्ट गीता थिएटर जमशेदपुर महाभारत काल के राजा दानवीर कर्ण की धरती अंग प्रदेश भागलपुर बिहार मे आयोजित 03 दिवसीय 12वें भागलपुर रंग महोत्सव 2025 के राष्ट्रीय मंच नाट्य, नुक्कड़ नाटक एवं नृत्य-संगीत प्रतियोगिता मे सम्मलित हुई। भागलपुर रंग महोत्सव राष्ट्रीय मंच नाट्य प्रतियोगिता 2025 मे“म्यूजियम ऑफ स्पीशीज इन डेंजर” महिलाओ पर आधारित मंच नाटक की प्रस्तुति दिया। जिसके लिए नाट्य दल को सर्वाश्रेठ चत्रित अभिनेत्री, सर्वाश्रेठ विषय पुरस्कार, सर्वाश्रेठ नाट्य आलेख पुरस्कार प्राप्त हुआ। वहीं भागलपुर रंग महोत्सव 2025 राष्ट्रीय नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता मे डायन कुप्रथा अभियान के प्रति जन जागरूकता हेतु“मैं डायन नही हूँ”नामक नुक्कड़ नाटक मंचन भागलपुर के घंडा चौक मे किया गया था जिसके लिए टीम को राष्ट्रीय सर्वाश्रेठ द्वितीय नुक्कड़ नाटक दल पुरस्कार प्राप्त हुआ। मंच नाटक - म्यूजियम ऑफ स्पीशीज इन डेंजर। यह नाटक पांच महिलाओं की पीड़ा और संघर्ष का प्रतिरूप है इस नाटक के माध्यम से हम बताना चाहते हैं कि कैसे महिला नामक प्रजाति का में लगातार परिवर्तन के आज वो प्रजाति का लुप्त होना पूरे परिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है और कैसे प्रकृति व समाज इस कमजोर वर्ग को हास्य स्थिति पर ले आया है अब इनको संरक्षण जरूरी है।
यह नाटक समाज में हास्य पर मौजूद प्रजाति महिलाओं के अस्तित्व के संघर्ष को एक म्यूजियम के रूप मे प्रस्तुत करता है जहां वह प्रदर्शन की वस्तु बन गए हैं। हम नाटक के माध्यम से दर्शको को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं की कैसे समाज महिला को सिर्फ पूज्यनीय मानने हुए भी उनके मन को समझाने की कोशिश नहीं करता है। इस नाटक के स्त्री पात्रों ने अपने पात्रों की आपबीती बताया है ताकि समाज जागें और महिलाओं की दर्द को महसूस करें और उनके प्रति संवेदनशील है।
पात्र परिचय : गीता कुमारी - शिरीन ( 2nd Best character Actors Award 2025), प्रतीज्ञा पाण्डेय - कन्या, खुशी पाण्डेय - भंवरी, पूर्णिमा सूंड़ी -पूजा, सृष्टि साह - रिंकू, तुफैल रज़ा - लड़का, अंनत सरदार - सूत्रधार, अवधारणा - रशिका अगाशी, आलेख - सुमेध, निर्देशक - प्रेम दीक्षित ( Best Drama Light Director National Award 2025)।
नुक्कड़ नाटक - मैं डायन नही हूँ।
"मैं डायन नहीं हूं" एक नुक्कड़ नाटक है जो डायन प्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए बनाया गया है। यह नाटक एक महिला की कहानी है जिसे गलत तरीके से डायन कहा जाता है और समाज द्वारा उसके साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। नाटक में दिखाया गया है कि कैसे एक महिला को उसकी जाति, उम्र और सामाजिक स्थिति के कारण डायन कहा जाता है और उसके साथ भेदभाव किया जाता है। नाटक का उद्देश्य लोगों को डायन प्रथा के खिलाफ जागरूक करना और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना है। नुक्कड़ नाटक एक शक्तिशाली माध्यम है जो समाज में बदलाव लाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। यह नाटक लोगों को जागरूक करने और उनके विचारों को बदलने में मदद कर सकता है।
पात्र- परिचय : महिला (डायन) - खुशी पाण्डेय, बेटी - संतुष्टि साह, नन्द - प्रतिज्ञा पाण्डेय, सुत्रधार - गीता कुमारी, जेठानी - पूर्णीमा सूडी, जेठ - अंनत सरदार, जेठ का बेटा - तुफैल रज़ा, अध्यापक - आयुष यादव, लेखिका - गीता कुमारी, निर्देशक - प्रेम दीक्षित।
मौके पर नाट्य कला दल को आयोजन समीती द्वारा नाटक“म्यूजियम ऑफ स्पीशीज इन डेंजर”को नाट्य अध्याक्षता सम्मान पुरस्कार प्राप्त करते हुए दल की मुखिया गीता कुमारी को एक दशक से अधिक समय से कला नाट्य क्षेत्र मे भागीरथी प्रयास, संघर्ष एवं योगदान हेतु राष्ट्रीय रंग सम्मान 2025 पुरस्कार सम्मान से नवाजा गया। भागलपुर रंग महोत्सव 2025 भागलपुर प्रतियोगीता के बाद 26 दिसम्बर से डेहरी आन सोन मे आयोजित होने कार्यक्रम का भी हिस्सा बनेगी दल।

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