Jamshedpur (Nagendra) भारत में सतत ऊर्जा वैज्ञानिक प्रगति व्यावसायिक क्षमता और सामाजिक संस्कृति विकास के बीच संतुलन पर ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वूमेन, जमशेदपुर में एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन सेमिनार हॉल में किया। जिसके मुख्य अतिथि क्षेत्रीय निदेशक, पूर्वी क्षेत्र, परमाणु खनिज अन्वेषण और अनुसंधान निदेशालय परमाणु ऊर्जा विभाग भारत सरकार, जमशेदपुर थे। महाविद्यालय के प्राचार्या एवं कार्यक्रम के संयोजक डॉ वीणा सिंह प्रियदर्शी ने पौधा और साल द्वारा मुख्य अतिथि का स्वागत किया , वहीं छात्रों द्वारा आदिवासी नृत्य करते हुए सेमिनार हॉल ले गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर किया गया जिसमें छात्राओं ने स्वागत गीत भी गया।
वहीं मौके पर मुख्य अतिथि ने अपने वक्तव्य में कहा कि परमाणु ऊर्जा एक स्वच्छ ऊर्जा का विकल्प है। परमाणु ऊर्जा का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि यह विश्वसनीय और भारी मात्रा में बिजली उत्पादन के उपयोगी है, जो जलवायु परिवर्तन से लड़ने और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने में मदद करती है, इसके उपयोग से उद्योग, कृषि और चिकित्सा (कैंसर उपचार) में भी मदद मिलती है। दूसरे वक्त के रूप में सहायक प्राध्यापक पंडित दीनदयाल ऊर्जा विश्वविद्यालय, गांधीनगर, गुजरात के डॉ नम्रता बिष्ट ने ऑनलाइन भूतापीय ऊर्जा और उनके अनुप्रयोगों के बारे में बताया। कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर डॉ वनश्री ने विस्तार से राष्ट्रीय कार्यालय कार्यशाला के बारे में बताया।इसके आयोजन सचिव डॉ सुशीला हंसना थी।
मंच का संचालन भारती कुमारी ने किया धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर प्रतिमा सिंहा ने किया। इस कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि सहायक प्राध्यापक, मैकेनिकल इंजीनियर विभाग NIT, जमशेदपुर डॉ अरुण कुमार रे ने सतत ऊर्जा प्रबंधन के लिए चरण परिवर्तन सामग्री पर अपना वक्तव्य में कहा कि फेस चेंज मटेरियल सस्टेनेबल एनर्जी मैनेजमेंट के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में इन्हें थर्मल एनर्जी स्टोरेज एनर्जी की खपत कम करने और रेनवाल एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका उपयोग नवीकरणीय ऊर्जा सौर पवन के भंडारण और इलेक्ट्रॉनिकस के थर्मल प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में होता है जो की ऊर्जा की स्थिरता को बढ़ावा देता है। द्वितीय सत्र का मंच संचालन डॉ अर्चना सिंहा और धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुहिता चटर्जी ने किया। कार्यक्रम में प्रदर्शनी भी लगाया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी शिक्षक, शिक्षिकाएं एवं अन्य महाविद्यालय के प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर एवं बहुत संख्या में विद्वान गण उपस्थित थे।


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