Jamshedpur (Nagendra) जिला विधिक सेवा प्राधिकार जमशेदपुर एवं राष्ट्रीय घरेलू कामगार संगठन के संयुक्त तत्वाधान में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर मानव अधिकार दिवस कार्यक्रम का आयोजन सोनारी स्थित झावरी बस्ती के नागरिक संघ भवन में किया गया। उक्त कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि डालसा सचिव धर्मेन्द्र कुमार एवं विशिष्ठ अतिथि में आदर्श सेवा संस्थान के सचिव प्रभा जायसवाल एवं डालसा के पीएलवी दिलीप जायसवाल , नागेन्द्र कुमार , सुनील पांडेय , व्यक्तित्व विकास संस्थान के सचिव मनोज राजवंशी समेत कई अन्य लोग उपस्थित थे। मौके पर डालसा सचिव धर्मेन्द्र कुमार ने अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला और मानव अधिकार के बारे में विस्तार से चर्चा की । इस दौरान उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर को ही मानवाधिकार दिवस क्यों मनाया जाता है?
क्योंकि इसी दिन, 1948 में राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाया था, जो दुनिया भर के सभी लोगों के लिए मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता का एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। यह दिन दुनिया को मानवाधिकारों के महत्व और उनके संरक्षण की याद दिलाने का काम करता है, जिसमें सभी मनुष्यों के लिए गरिमा, समानता और न्याय सुनिश्चित करना शामिल है। अर्थात मानव अधिकार , वे मौलिक अधिकार और स्वतंत्रताएँ हैं जो हर इंसान को जन्म से ही प्राप्त होती हैं, चाहे उसकी राष्ट्रीयता, लिंग, रंग, धर्म या कोई अन्य स्थिति कुछ भी हो; ये अधिकार जीवन, स्वतंत्रता, शिक्षा, काम और गरिमापूर्ण जीवन जीने की गारंटी देता है और समानता व निष्पक्षता पर आधारित होते हैं, जिनका उद्देश्य सभी को भय और भेदभाव से मुक्त जीवन जीने में सक्षम बनाना है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में बताया गया है।
वहीं भारत में मानवाधिकारों को कानूनी ढाँचा मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 (PHRA) के तहत 28 सितंबर 1993 को लागू किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का गठन हुआ, जो संविधान और अंतर्राष्ट्रीय संधियों द्वारा गारंटीकृत अधिकारों की रक्षा करता है, जिससे भारत में मानवाधिकारों के प्रवर्तन और संवर्धन का एक महत्वपूर्ण कानूनी आधार स्थापित हुआ। डालसा सचिव ने कार्यक्रम में मौजूद घरेलू कामगार महिलाओं के हित में बने श्रमिक कानून व योजनाओं के बारे में भी बताया । साथ ही घरेलू हिंसा, पॉक्सो एक्ट, महिला उत्पीड़न, दुर्घटना क्लेम , यौन शोषण आदि कई कानूनों के बारे में उन्होंने विस्तार से जानकारी दी। वहीं पीएलवी दिलीप जायसवाल ने डालसा के कार्य व उद्देश्य के बारे में बताया और कहा कि किसी भी समस्या का शीघ्र समाधान पाने के लिए डालसा कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि नालसा एवं झालसा के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा आयोजित मध्यस्थता केंद्र एवं लोक अदालत के माध्यम से भी समझौते योग मामले एवं लंबित केसों का काफी संख्या में निष्पादन किया जा रहा है और आगामी 13 दिसंबर को नेशनल लोक अदालत का आयोजन होने वाला है, जिसमें आकर लोग अपनी केसों का निपटारा कर समय और पैसा दोनों की बचत कर सकते हैं।
उन्होंने सभी घरेलू कामगार महिलाओं को श्रम विभाग के तहत असंगठित मजदूर के रूप में निबंधन कराने पर बल दिया, ताकि निबंधित मजदूरों को मिलने वाले सुविधाओं का उन्हें लाभ प्राप्त हो सके । कार्यक्रम में आदर्श सेवा संस्थान की सचिव प्रभा जयसवाल एवं व्यक्तित्व विकास संस्थान के सचिव मनोज कुमार राजवंशी ने भी संबोधित किया । वहीं कार्यक्रम में उपस्थित झारखंड घरेलू कामगार की रीना किस्पोट्टाजी ने कार्य स्थल पर घरेलू कामगार के साथ हो रहे अन्याय और शोषण के बारे में जानकारी दी। आशा तिर्की ने साप्ताहिक की छुट्टी पर अपने बातों को रखा और कहा कि घरेलू कामगारों का कोई भी छुट्टी निर्धारित नहीं होता है और उन्हें रोज काम पर जाना पड़ता है , यदि वह किसी कारणबस कोई दिन काम पर नहीं जाते हैं तो उनका पैसा काट लिया जाता है।
झारखंड घरेलू कामगार यूनियन की एनिमेटर सुलोचना ने घरेलू कामगार से जुड़ी कई समस्याओं को रखा तथा इसके समाधान के लिए एक विशेष समिति का तत्काल गठन करने की भी मांग रखी और कहा कि समिति द्वारा घरेलू कामगारों की सामाजिक सुरक्षा , काम के घंटे , न्यूनतम वेतन और गरिमा पूर्ण कार्य स्थिति में संबंधित सुझाव दिए जाएं। इस कार्यक्रम में सिस्टर अंशु ,रीना किस्पोट्टा ,आशा तिर्की ,शीतल टोपनो ,सुषमा टोप्पो, सुलोचना देवी, संगीता सोना, झारखंड घरेलू कामगार यूनियन के सैकड़ों महिला सदस्य शामिल थे।


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