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किशोर उम्र की हरकतों और अनुभूतियों को झलकाती फिल्म ‘चिड़ियाखाना’ का 'बाबू' बेमिसाल है,.Babu' of the film 'Chidiyakhana' is unique in depicting the antics and feelings of the teenage age

 


मुबई। राष्ट्रीय फ़िल्म विकास निगम द्वारा निर्मित और मनीष तिवारी के द्वारा निर्देशित फ़ीचर फ़िल्म 'चिड़ियाखाना' अपने अतरंगी किरदारों के लिए रिलीज के बाद से चर्चा का विषय बनी हुई है। 'चिड़ियाखाना' एक क्लासिक अंडरडॉग कहानी है। इस फिल्म के मुख्य किरदार में ऋत्विक सहोर हैं। 

उनका किरदार बिहार के एक लड़के का है, जो अपनी मां के साथ मुंबई के चॉल में रहता है। इस फिल्म की कहानी ऐसे शख्स की है, फुटबॉल और जुनून के लिए अपनी अमिट छाप छोड़ता है। राजेश्वरी सचदेव, प्रशांत नारायण, गोविंद नामदेव, अंजन श्रीवास्तव, नागेश भोंसले, अवनीत कौर और दो सीन में आए रवि किशन ने भी अपने किरदार को बेहतरीन तरीके से जीवंत किया है । 

इन सभी दिग्गजों के बीच 'चिड़ियाखाना' में किशोर खलनायक की भूमिका अदा करनेवाले अभिनेता जयेश कर्दक ने 'बाबू' के किरदार को नए अंदाज में जीवंत किया है। जयेश कर्दक मुंबई की चर्चित नाट्य संस्था 'इप्टा' के अलावा मराठी फ़िल्मों में भी सक्रिय हैं। जैसे ही जयेश का ऑडिशन निर्देशक मनीष तिवारी ने देखा उन्होंने मन बना लिया कि जयेश को ही 'बाबू' का रोल करना है।

 फिल्म की कहानी में बाबू बीएमसी स्कूल का स्टार फ़ुट्बॉलर है, लेकिन जयेश अपनी निजी ज़िंदगी में फुटबॉल खिलाड़ी नहीं हैं फिर भी उसने यह पता नहीं चलने दिया दिया कि वह  फ़ुट्बॉलर नहीं हैं। जयेश ने अपने किरदार बाबू में  नेतृत्व गुणों को दर्शाया है, एक धौंस जमाने वाले किशोर खलनायक के किरदार को अपने अभिनय प्रतिभा के बदौलत नया स्वरूप प्रदान किया है जो दिल को छू जाता है। 

जयेश कर्दक जब जब परदे पर आता है सिनेमा घरों में ख़ूब तालियाँ सीटियाँ बजती है। दर्शक उसके अभिनय क्षमता को ख़ूब पसंद कर रहे हैं। जयेश कर्दक निर्देशक मनीष तिवारी के लिए एक नायाब खोज माना जा रहा है। निर्देशक मनीष तिवारी कहते हैं कि जयेश कर्दक में बहुत सम्भावनाएँ हैं। 'चिड़ियाखाना' में उसने उम्मीद से बढ़ कर अपने किरदार के साथ इंसाफ़ किया है।

 मनीष तिवारी का कहना है कि जयेश कर्दक जैसे टैलेंट हिंदी और मराठी फिल्म इंडस्ट्री दोनों में ही कभी कभी आते  हैं और वह जयेश के  लिए एक खूबसूरत भविष्य देखते हैं।



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