गुवा । वर्षा के अभाव में सारंडा के किसानों के खेतों में लगी धान की फसल बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गई है। सारंडा स्थित तितलीघाट, जोजोगुटू, जामकुंडिया, छोटानागरा, बहदा, राजाबेडा़, लेम्ब्रे, सोनापी आदि दर्जनों गांवों के किसान अपनी सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि पर गोड़ा धान की फसल लगाये हैं। इसके लिये खेतों की जुताई से लेकर धान की बोआई पर काफी मेहनत व पैसे खर्च किये।
लेकिन वर्षा की बेरुखी ने इनकी खेती को घाटे का सौदा बना दिया है। सारंडा पीढ़ के मानकी लागुड़ा देवगम, छोटानागरा के मुंडा बिनोद बारीक, जोजोगुटू मुंडा कानुराम देवगम, मान सिंह चाम्पिया आदि ग्रामीणों ने बताया कि इस बार वर्षा नहीं होने से धान व अन्य फसल बर्बाद हो रहा है। हमारे गांव व खेतों के बगल से प्राकृतिक नदी गुजरती है। नदी में सालों भर पानी रहता है। उसके बावजूद खेत पानी विहिन रहे तो इससे दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है।
इन्होंने झारखंड सरकार के सिचाई विभाग व सांसद विधायक से मांग किया है कि वह नदी का पानी को लिफ्ट कर हमारे खेतों में पहुंचाने की सुविधा उपलब्ध कराये। ताकि हमें खेती के लिये वर्षा के पानी पर निर्भर नहीं रहना पडे़। सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने से हम सभी सालों भर विभिन्न प्रकार की खेती व सब्जी उगाकर आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर होंगे। वर्तमान में सभी किसान एक वर्ष धान लगाते हैं तो एक वर्ष खेत को परती छोड़ देते हैं, अथवा उसमें गुंजा या अन्य फसल लगाते हैं। इसकी मुख्य वजह खाद की महंगाई है।
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