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Jamshedpur. जमशेदपुर में प्रकृति का महापर्व सरहुल पूजा धूमधाम से मनाया गया, विशाल शोभा यात्रा निकाली गई, Nature's great festival Sarhul Puja was celebrated with great pomp in Jamshedpur, a huge procession was taken out

Jamshedpur (Nagendra) । प्रतिवर्ष की भांति इस साल भी सरहुल पूजा के उपलक्ष्य में केन्द्रीय सरहुल पूजा समिति पूर्वी सिंहभूम द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इससे पूर्व आज सुबह सभी सरना स्थलों पर आदिवासी समाज के महिला पुरुषों ने पूजा अर्चना कर सभी के खुशहाली की प्रार्थना किया। पूजा के दौरान फल,फूल,दूध और धूप धूवन  अर्पित कर अपने परिवार एवं समाज के समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। सीतारामडेरा में पाहन बुधु मिंज, भोला कच्छप,बिरसानगर में महावीर कुजूर, उलीडीह में पांडु कुजूर, शंकोशाई में बासु लकड़ा बागबेड़ा में बुधराम टोप्पो, एवं लक्ष्मीनगर में अनादि उरांव की देखरेख में पूजा संपन्न हुई। उसके बाद दोपहर 3 बजे से सभी लोग अपने पारंपरिक परिधान एवं वाद्य यंत्रों के साथ सीतारामडेरा में एकत्रित हुए। 


शोभायात्रा प्रारम्भ होने से पूर्व केन्द्रीय सरहुल पूजा समिति पूर्वी सिंहभूम द्वारा विभिन्न समाज के अगुवाओं, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों, राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों का पारंपरिक तरीके से स्वागत कर सम्मानित किया गया जिसमे मुख्य रूप से आदिवासी अंतर्राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी जयपाल सिंह सिरका,पूर्व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा,विधायक सरयू राय, विधायक पुर्णिमा दास साहू,राजकुमार सिंह,अमरप्रीत काले,महावीर मुर्मू,,अमित सिंह, बंटी सिंह, शिशिर पूर्ति,विमल कुमार विकाश बालमुचू, मनोज तांती समेत अन्य लोग मौजूद रहे। सम्मानित होने के उपरांत शोभायात्रा प्रारम्भ हुआ ,जो लाको बोदरा चौक, एग्रिको लाइट सिग्नल, भालूबासा चौक, रामलीला मैदान,साकची मुख्य गोलचक्कर,कालीमाटी रोड,  टूईलाडूंगरी गोलचक्कर, रिफ्यूजी कॉलोनी, गोलमुरी होकर वापस सीतारामडेरा में समाप्त हुई। 



शोभायात्रा के दौरान आदिवासी एवं मूलवासी समाज के एकता का परिचय देते हुए उरांव,हो,मुंडा,मुखी, भुईयां तुरी,लोहरा समाज के हजारों महिला पुरुष युवक युवतियां बच्चे बच्चियां अपने पारंपरिक परिधान पहने हुए विभिन्न प्रकार के आदिवासी वाद्य यंत्रों के साथ नृत्य करते हुए आगे बढ़े । प्रकृति को संरक्षित करने का संदेश देते हुए जगह जगह बैनर लगाए गए थे। साथ ही साथ बच्चों अपने हाथों में कट आउट लेकर भी चल रहे थे। विभिन्न प्रकार का परिधान, वाद्य यंत्र एवं नृत्य शैली आकर्षक का केन्द्र थे । शोभायात्रा मार्ग पर विभिन्न समाज के संस्था द्वारा सेवा शिविर भी लगाया गया था। बच्चे बूढ़े महिला पुरुष सभी एकदूसरे से मिलकर सरहुल की बधाई भी दे रहे थे। 



शोभायात्रा को सफल बनाने में मुख्य रूप से किशोर लकड़ा,राकेश उरांव, नंदलाल पातर, राजश्री नाग, राजेश कांडयांग, रामू तिर्की, सावन लकड़ा, राजन कुजूर, शंभू मुखी, दुर्गामनी बोईपाई, निकिता सोय, उपेन्द्र बानरा, प्रेम आनंद सामड, बुधराम खालको, गोपाल टोप्पो, लक्ष्मण मिंज, बुधराम टोप्पो, लखींद्र लकड़ा,सोमा कोया,डॉ बिंदु पाहन, प्रकाश कोया, बुधु खलखो, बबलू खालको, गणेश कुजूर, संतोष सामंत, रामू शांडिल्य, अनूप टोप्पो,राज लकड़ा, खुदूं उरांव, अनादि उरांव, जोलेश मुखी, सामंतों मुखी समेत अन्य लोगों का सार्थक योगदान रहा।



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