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Jamshedpur मयंक महाराज ने भागवत कथा में रासलीला और रुक्मिणी विवाह का महत्व बताया Mayank Maharaj explained the importance of Raasleela and Rukmini marriage in Bhagwat Katha

 


  • बिष्टुपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में भगवत कथा का छठवां दिन

Jamshedpur (Nagendra) । बिष्टुपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन रविवार को व्यासपीठ से भागवत भ्रमर आचार्य श्री मयंक जी महाराज ने बताया कि भागवत कथा में रासलीला और रुक्मिणी विवाह कथा का बहुत महत्व है। रासलीला भगवान कृष्ण और गोपियों के बीच प्रेम का प्रतीक है, जबकि रुक्मिणी विवाह भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी के बीच एक पवित्र बंधन का प्रतीक है। कथावाचक ने कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं। कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं।


उन सभी गोपियों के मन में कृष्ण के नजदीक जाने, उनसे प्रेम करने का भाव तो जागा, लेकिन यह पूरी तरह वासना रहित था। इसके बाद भगवान ने रास आरंभ किया। माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुऐ कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया।



मौके पर आयोजक मंडली की ओर से आकर्षक वेश-भूषा में श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की झांकी प्रस्तुत कर विवाह संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया। कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया। भागवत कथा के दौरान संस्था की महिलाओं द्धारा शानदार झांकी की प्रस्तुति देने के साथ ही रासलीला और रुक्मिणी विवाह का उत्सव मनाया। महाराज जी सातवें दिन सोमवार को सुदामा चऱित्र एवं शुकदेव पूजन कथा की महिमा का प्रसंग सुनायेंगे। इसका आयोजन श्री श्याम भटली परिवार जमशेदपुर एवं भयली महिला मंडल सोनारी द्धारा संयुक्त रूप से किया जा रहा हैं। कथा में रोजाना बड़ी संख्या में कथा प्रेमियों द्वारा निष्ठा एवं भाव पूर्वक प्रभु कथा का रसपान किया जा रहा हैं।



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