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Jamshedpur ब्रह्मानंद नारायणा अस्पताल में पहली बार ऑर्बिटल एथरेक्टॉमी पद्धति से ह्रदय की सफल चिकित्सा Successful heart treatment through orbital atherectomy method for the first time in Brahmananda Narayana Hospital

 


Jamshedpur (Nagendra) । ब्रहमानंद नारायणा अस्पताल जमशेदपुर ने पहली बार ऑर्बिटल एयरेक्टॉमी प्रक्रिया से मरीज के ह्रदय का सफल इलाज किया गया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस पद्धति से बड़े ही सरल व सुलभ ढंग से मरीज की सफल चिकित्सा हुई और वह भी थोड़े से खर्च में. यानि करीब 3.50 लाख रुपये में , जो निश्चित रुप से चकित करने वाली बात है। इस प्रक्रिया के तहत मरीज को बेहोश करने की भी जरुरत नहीं पड़ती। महज 24 घंटे के अंदर मरीज को अस्पताल से रिलिज भी कर दिया जाता है। ब्रम्हानंद नारायण हॉस्पीटल जमशेदपुर के कंसल्टेंट इंटरवेंशन कार्डियोलॉजी डॉ. अखलाक अहमद ने इसकी जानकारी एक प्रेसवार्ता में संवाददाताओं को दी। डॉ अहमद ने बताया कि यह न्यूनतम इनवेसिव (कम जटिल) तकनीक है, जिसका उपयोग गंभीर रूप से कैल्सीफाइड कोरोनरी आर्टरी डिजीज के उपचार में किया जाता है। 



इस प्रक्रिया से 74 वर्षीय मरीज को राहत मिली, जो तीन वर्षों से सीने में दर्द से जुझ रहा था। वह मूलत: भागलपुर बिहार का रहने वाला यह मरीज अवधेश कुमार ओझा को पटना के डॉ. ने ब्रम्हानंद नारायण हॉस्पीटल में रेफर किया था। डॉ अखलाक अहमद ने बताया कि मरीज, जिनका 2012 में सबड्यूरल हेमेटोमा का ऑपरेशन हुआ था। उन्हें परिश्रम करने पर सीने में दर्द होती थी, लेकिन बेहोशी या सूजन का कोई इतिहास नहीं था। कार्डियक जाँच ईसीजी और इकोकार्डियोग्राफी के बाद कोरोनरी एंजियोग्राफी की गई, जिसमें गंभीर कैल्सिफिकेशन सामने आया, जिससे पारंपरिक एंजियोप्लास्टी करना कठिन हो गया। वरिष्ठ इंटरवैशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अखलाक अहमद ने बताया कि ‘गंभीर कैल्सिफाइड कोरोनरी आर्टरी में सामान्य बलून ब्लॉकेज को प्रभावी ढंग से खोल नहीं पाते। ऑर्बिटल एथरेक्टॉमी हमें सटीक रूप से कैल्सिफाइड प्लाक को हटाने की सुविधा देती है, जिससे स्टेट सफलतापूर्वक डाला जा सके। 



ऐसी बीमारियों का समय पर पता लगना बेहद जरूरी है, क्योंकि देर होने पर उपचार के विकल्प सीमित हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में प्रभावित आर्टरी में एक पतली कैथेटर डाली जाती है, जिसमें डायमंड-कोटेड बर्र (बुर्र) उच्च गति से घूमकर कठोर प्लाक को तोड़ता है। इसके बाद बलून एंजियोप्लास्टी और स्टेंट डाला जाता है। जिससे रक्त प्रवाह बहाल होता है। यह पद्धति कई उच्च जोखिम वाले मरीजों में ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता को टाल देती है। रिकवरी के बाद मरीज ने कहा, “मैं सालों से सीने की असुविधा को अनदेखा कर रहा था, सोचता था यह बस बुढ़ापे का असर है। अगर मैं पहले आ जाता तो शायद इतने वर्षों की परेशानी से बच सकता था। टीम का आभारी हूँ कि बिना बड़ी सर्जरी के इलाज हो गया।”


उन्नत इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी ने असम्भव को सम्भव बनाया - अस्पताल के फैसिलिटी डायरेक्टर ए. धर्मा राव ने कहा, “यह उपलब्धि दर्शाती है कि उन्नत इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी कैसे उन मरीजों के लिए भी उपचार के अवसर खोल सकती है, जिन्हें पहले असंभव माना जाता था। यह हमारे इस संकल्प को मजबूत करता है कि हम क्षेत्र में ही अत्याधुनिक प्रक्रियाएँ उपलब्ध कराएँ।” अध्ययनों के अनुसार, लगभग एक-तिहाई कोरोनरी एंजियोप्लास्टी मरीजों में गंभीर कैल्सिफिकेशन होता है, लेकिन केवल लगभग 10% को ही ऑर्बिटल एथरेक्टॉमी की आवश्यकता पड़ती है। यही वजह है कि यह प्रक्रिया दुर्लभ होते हुए भी चुनिंदा मामलों में अत्यंत मूल्यवान है।



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