Upgrade Jharkhand News. सरायकेला खरसावां जिला अंतर्गत नीमडीह प्रखंड में स्थित शांखा नदी से अवैध रूप से बालू खनन खनन एवं परिवहन जारी है। सिंदूरपूर, झिमड़ी, मुरू, तिलाईटांड़, बागड़ी एवं बुरुडीह गांव के पास शांखा नदी से रात के अंधेरे में बालू का खनन एवं परिवहन जारी है। जबकि झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड (जेएसएमडीसीएल) का आदेश है 10 जून से 15 अक्टूबर तक खनन कार्य नहीं करना है। ग्रामीण कह रहें है कि पुलिस प्रशासन इससे बेखबर क्यों है? यह एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है।
अवैध रूप से बालू खनन कर नदी को बना दिया नाला -शांखा नदी में बालू खनन का आदेश सरकारी स्तर पर नहीं है। ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि इसके बाद भी तीन साल से अवैध रूप से बालू खनन कर नदी का प्राकृतिक सौंदर्य को तो नष्ट कर दिया गया साथ नदी को नाला बना दिया गया। प्राकृतिक संपदा पर्यावरण को स्वस्थ्य और टिकाऊ बनाये रखने के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए प्राकृतिक संपदा का संरक्षण करना महत्वपूर्ण है। लेकिन प्रशासन इसके लिए सक्रिय क्यों नहीं है। बालू खनन एवं परिवहन से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ने लगा है। प्राकृतिक सौंदर्य का रूप बिगड़ने लगा है, मिट्टी का कटाव हो रहा है।
चल रहा है अवैध बालू का व्यापार, प्रशासन बना धृतराष्ट्र -नीमडीह प्रखंड अंतर्गत शांखा नदी के किनारे सिंदूरपुर, झिमड़ी, तिलाईटांड़, बागड़ी, मुरू एवं बुरुडीह के कुछ स्थानीय लोगों द्वारा अवैध रूप से बालू का उत्खनन कर ट्रैक्टर द्वारा परिवहन किया जा रहा है। जनता पूछ रही है क्या प्रशासन को यह सब काला धंधा नजर नहीं आता है या धृतराष्ट्र बना गया।
बालू लदा ट्रैक्टर ने सड़क को बना दिया बदहाल -इधर नीमडीह प्रखंड अंतर्गत बांदू तिलाईटाड़, लाकड़ी, बागड़ी, बुरुडीह जाने वाली सड़क अवैध बालू लदा ट्रैक्टर चलने के कारण बदहाल हो गया हैं। तिलाईटांड के सड़क को अवैध बालू व्यापारियों द्वारा इतना बदहाल स्थिति बना दिया गया कि यमराज भी इस सड़क पर आने में कतराते होंगे। सड़क की दुर्दशा के कारण लाकड़ी, बागड़ी एवं बुरुडीह जैसे आदिवासी बहुल गांव के जनता एवं रोगी, विद्यार्थियों आदि को अस्पताल, स्कुल, कॉलेज, सरकारी कार्यालय आदि संस्थानों में जाने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
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